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रांची/डेस्क: 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष पद पर आम सहमति बनाने के NDA का शीर्ष नेतृत्व का प्रयास विफल साबित हुआ है. इंडिया ब्लॉक ने इस पद के लिए आठ बार के सांसद के. सुरेश (K. Suresh) को मैदान में उतारने का फैसला किया है. इस पद के लिए भाजपा के कोटा से सांसद ओम बिड़ला द्वारा नामांकन दाखिल किए जाने के बाद के. सुरेश का नामांकन हुआ. बता दें कि ओम बिड़ला 17वीं लोकसभा में भी अध्यक्ष थे. इस पद के लिए चुनाव 26 जून को होंगे.
1952 में पहली बार हुआ था लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव
आजादी के बाद से, लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आम सहमति से होता रहा है. हालांकि, 1952 में लोकसभा के पहले स्पीकर के लिए कांग्रेस ने जीवी मावलंकर का नाम बढ़ाया था. उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर उतरे एसएस मोरे के हराकर स्पीकर का पद हासिल किया था. 543 सदस्यीय लोकसभा में एनडीए के पास 293 सांसद हैं, जो स्पष्ट बहुमत प्राप्त है, जबकि विपक्षी दल इंडिया के पास 234 सांसद हैं.
पक्ष-विपक्ष में स्पीकर के नाम पर नहीं बनी सहमति
बता दें कि देश में 72 साल के बाद स्पीकर का चुनाव होने जा रहा है. आम तौर पर लोकसभा अध्यक्ष के पद पर पक्ष और विपक्ष सर्वसहमति से चुनाव करती है. पर इस बार विपक्ष ने अपना उम्मीदवार उतार कर इस परंपरा पर विराम लगाया है. केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को फोन किया और उन्होंने उनसे स्पीकर को समर्थन देने को कहा है. वहीं पूरे विपक्ष ने कहा कि हम स्पीकर का समर्थन करेंगे, लेकिन परंपरा यह है कि डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को दिया जाना चाहिए.
कौन हैं INDIA गठबंधन के उम्मीदवार के. सुरेश
इंडिया ब्लॉक के तरफ से 18वीं लोकसभा में केरल के बड़े दलित नेता व मावेलिक्कारा लोकसभा सीट से सांसद के सुरेश का नामांकन किया गया है. वह 8 बार के सांसद रहे हैं. वर्ष 1989 में उन्होंने पहली बार चुनाव जीता था. के सुरेश डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली UPA सरकार में केंद्रीय श्रम और रोजगार राज्य मंत्री भी रहे हैं. साथ ही वह कांग्रेस के भीतर की सर्वोच्च बॉडी CWC के विशेष आमंत्रित सदस्य हैं. केरल कांग्रेस ने उन्हें 2018 में कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था.