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रांची/डेस्क: जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय विधायक सरयू राय ने जदयू का दामन थामन लिया है. इसके साथ ही सरयू राय के सामर्थ्य को लेकर सियासी गलियारे में तेज कयास लगाए जाने लगे हैं. कभी बीजेपी के कद्दावर विधायक सरयू राय ने 2019 में बीजेपी का दामन छो़ड़ने के साथ ही साथ अपनी परम्परागत सीट जमशेदपुर पश्चिम को भी छोड़ दिया. उन्होंने जमशेदपुर पूर्वी से चुनाव लड़ा और तत्कालीन सीएम रघुवर दास को उनकी सीटिंग सीट पर शिकस्त दे डाली. लेकिन विगत पांच साल में सरयू राय के निर्णय से झारखंड की राजनीति पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा है. ऐसे में झारखंड का सियासी तापमान चढ़ने लगा है. यह सवाल गरमाने लगा है कि जमशेदपुर पूर्वी के सीट पर विधानसभा चुनाव में बीजेपी दावा ठोकेगी या जदयू इसे अपनी सीट बताकर सरयू राय को चुनावी मैदान में उतारेगी. यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि इसके पूर्व बीजेपी जमशेदपुर पूर्वी और जमशेदपुर पश्चिमी दोनों पर दावा ठोंकती रही है. ऐसे में बीजेपी आलाकमान क्या जदयू की शर्तों को झारखंड के संदर्भ में स्वीकार करेगी जबकि झारखंड में जदयू के जनाधार का बंटाधार है और कहीं ना कहीं नीतिश अब सरयू के सहारे झारखंड में जदयू की नैया पार कराना चाहते हैं. इधर, सरयू भी गठबंधन के नैया पर सवार होकर विधानसभा की बैतरणी पार करना चाहते हैं.
सियासी गलियारे के सुलगते सवाल
- सरयू राय के जदयू में शामिल होने के बाद बदलेगा राजनीतिक समीकरण ?
- जमशेदपुर पूर्वी से विधायक हैं सरयू, अब यह सीट जदयू के खाते में शामिल ?
- क्या निर्दलीय सरयू के जदयू में शामिल होने पर बीजेपी छोड़ेगी जमशेदपुर पूर्वी सीट ?
- बीजेपी का विरोध लेकिन एनडीए के साथ सरयू राय, कैसे संभलेगा गठबंधन ?
- क्या सरयू राय को लेकर नीतिश भी अड़ेंगे गठबंधन के सामने ?
- भाजपा आलाकमान आखिर क्यों मानेगी झारखंड में जदयू की शर्तें ?
- झारखंड में जदयू का क्या है जनाधार, क्या सरयू ही लगाएंगे नैया पार ?
निर्दलीय होने की चुनौती पर सरयू का ब्रह्मास्त्र
जमशेदपुर की पूर्वी या पश्चिमी सीट किसी भी निर्दलीय विधायक के लिए जीत पाना अब एक चुनौती है यही कारण है कि सरयू राय अब गठबंधन का उम्मीदवार बनना चाहते हैं जिसके लिए उन्होंने अपना ब्रह्मास्त्र चला दिया है. बीजेपी में उनकी वापसी को लेकर अलाकमान तैयार नहीं हो पा रहा इसलिए उन्होंने राजनैतिक दांव खेलते हुए अपने पुराने मित्र और सहयोगी का साथ लिया. जदयू में शामिल होने के बाद अब बीजेपी के सामने परेशानी बढ़ गई है. सरयू राय के लिए अगर जदयू जमशेदपुर पूर्वी सीट पर अड़ गई तो बीजेपी से अब तक चुनाव लड़ने वाले नेता और कैडर दोनों पीछे छूट जायेंगे. इसलिए सरयू राय ने बहुत ही ठंडे दिमाग से बड़ा राजनीतिक दांव खेल दिया है. जमशेदपुर पूर्वी सीट से बीजेपी के बागी भी आगामी चुनावी मैदान में ताल ठोकने को तैयार बैठे है . सीट शेयरिंग की घोषणा से पहले सरयू राय की जदयू में शामिल होने की राजनीतिक चाल को NDA गठबंधन के अंदर बहुत गंभीरता से लिया जा रहा है. नीतीश कुमार की JDU को झारखंड में मजबूत करने की जिम्मेदारी भी अब सरयू राय पर है.
सरयू के बहाव से गठबंधन को फायदा या नुकसान
चारा घोटाला में लालू यादव से लेकर कई बड़े खुलासे करने वाले सरयू वहीं बीजेपी की सरकार में रघुवर दास के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले सरयू राय राजनीति के बड़े महारथी माने जाते हैं.बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मुलाकात के बाद उन्होंने जदयू के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का किया बड़ा एलान किया था. लेकिन अचानक से सरयू राय के जदयू में शामिल होने से राज्य की सियासी तस्वीर बदलती नजर आ रही है. इससे एनडीए गठबंधन को फायदा होगा या नुकसान यह देखना दिलचस्प होगा. सरयू राय अब जदयू नेता के तौर पर पहचाने जायेंगे जिसके कारण सरयू के शामिल होने से जदयू की उम्मीदें काफी बढ़ गयी हैं. लेकिन वहीं एनडीए में भी सीटों के बंटवारे पर पेंच फंसने की कवायद तेज हो गयी है. सूत्रों का दावा है कि झारखंड में जदयू 5 से अधिक सीटों पर दावा कर सकती है.