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रांची/डेस्क: 17 सितंबर को भारत में चीतों के पुनर्वास को दो साल हो गए हैं. सात दशक बाद चीते फिर से देश की धरती पर विचरण कर रहे हैं. मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से लेकर राजस्थान और उत्तर प्रदेश तक देश के तीन राज्यों के जंगलों को मिलाकर सबसे बड़ा चीता संरक्षण क्षेत्र बनाने की योजना बनाई जा रही है. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने चीता परियोजना के दो साल पूरे होने पर अपनी वार्षिक प्रगति रिपोर्ट में इसका जिक्र किया है. एनटीसीए की रिपोर्ट के मुताबिक चीता संरक्षण क्षेत्र की सीमा मध्य प्रदेश के श्योपुर में कूनो नेशनल पार्क से शुरू होगी. यह राजस्थान के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व और मध्य प्रदेश के मंदसौर में गांधी सागर अभयारण्य तक जाएगी. मंदसौर के गांधी सागर में चीतों को लाने की तैयारी चल रही है. इसमें उत्तर प्रदेश का कुछ हिस्सा भी शामिल किया जाएगा. यह भारत का सबसे बड़ा चीता संरक्षण क्षेत्र बन जाएगा. इस क्षेत्र का सटीक आकार और क्षेत्रफल अभी तय नहीं हुआ है.
बता दे कि कुनो से गांधी सागर के बीच चीता कॉरिडोर बनाया जाएगा. इस कॉरिडोर का उद्देश्य चीतों के संरक्षण को बेहतर बनाना और उनके लिए सुरक्षित माहौल तैयार करना है. वही चीतों को खुले जंगल में छोड़ने की भी योजना है. फिलहाल चीतों को एक बड़े बाड़े में रखा गया है. कुनो में चीतों को एक से डेढ़ वर्ग किलोमीटर के सीमित क्षेत्र में रखा गया है, जबकि एक चीते को सामान्य तौर पर 50 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र की जरूरत होती है. नए चीता कॉरिडोर और संरक्षण क्षेत्र के निर्माण से चीतों को बड़ा और सुरक्षित आवास मिलेगा. तीन राज्यों के 17 जिलों के जंगल में चीते शामिल किये जायेंगे.