राज हल्दार/न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: पंचपरगनिया भाषा कला संस्कृति मंच के तत्वावधान पर सूर्य मंदिर परिसर में 13वां वनभोज सह पुष मिलन समारोह आयोजित किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षाविद डॉ. दीनबंधु महतो ने किया. उन्होंने संस्कार से ही संस्कृति की उपज होने की बात कही एवं हमारे विभिन्न संस्कारों को बतलाया.
मिलन समारोह में मुख्य अतिथि पंचपरगनिया भाषा विकास केन्द्रीय समिति सचिव डॉ. करमचंद्र अहीर ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पांच परगना की सुंदर संस्कृति की संरक्षण हेतु वर्तमान पीढ़ी को आगे आने का आवाहन किया.
सहायक प्राध्यापक डॉ. नरेंद्र कुमार दास ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा में पंचपरगनिया भाषा से संबंधित सिलेबस में एकरूपता होने व विभिन्न परीक्षाओं में प्रश्न लेवल न होने से पंचपरगनिया भाषा पढ़ने वाले बच्चों को हो रही परेशानियों को संज्ञान में लेने की बात कही तथा उन्होंने आश्वासन दिया कि हम सब आयोग एवं कार्मिक विभाग से मिलेंगे एवं प्रतियोगिता को लेकर जो खामियां हैं दूर करेंगे.
बुंडू थाना एएसआई इन्द्रदेव उरांव ने इस कार्यक्रम को सराहना करते हुए कहा कि हमारी कला संस्कृति को सभी बुद्धिजीवियों को आगे आकर सहयोग करना चाहिए ताकि लोकगीत तथा लोकनृत्य बचे रहे.
मौके पर पंचपरगनिया भाषा कला संस्कृति मंच की तरफ़ से एक प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित की गई. जिसका उद्देश्य पांच परगना के समस्त छात्रों का प्रतियोगिता परीक्षा के प्रति रुझान लाना है. इस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान बुद्धेश्वर प्रमाणिक (स्नातकोत्तर पंचपरगनिया विभाग रांची) द्वितीय स्थान प्रतिमा कुमारी (पांच परगना किसान कॉलेज बुंडू) एवं तृतीय स्थान ज्योतिलाल पाहान (पंचपरगनिया विभाग, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय रांची) विजेता रहा. इन विजेताओं को पुरस्कार के रूप में मोमेंटो, पुस्तक एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया. इस समारोह में उपस्थित भाषा एवं कला के विद्वजनों को छात्र-छात्राओं के द्वारा साॅल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया.
सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत राजकिशोर स्वांसी एवं पुरेन्द्र नाथ अहीर के द्वारा वंदना गीत से किया गया. इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची, पीपीके कॉलेज बुंडू, डोरंडा कॉलेज रांची, सिल्ली कॉलेज सिल्ली, स्नातकोत्तर पंचपरगनिया विभाग रांची के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया एवं सभी ने कॉलेज सांस्कृतिक प्रोग्राम दिखाकर भाषा के साथ-साथ कला-संस्कृति को भी बचाए रखने का संदेश दिया.
इस मौके पर पंचपरगनिया साहित्यकार गोरेन्द्र नाथ गोंझू , डॉ. वासुदेव महतो, डॉ. गोविन्द महतो, पुष्पा देवी, कृष्ण सिंह मुंडा, सुरेश चंद्र महतो, बीरेंद्र प्रसाद, सैनाथ मुंडा, हलधर अहीर, सहदेव, शारण, डॉ. रंजीत प्रामाणिक, मोहित सेठ, प्रीतम, ललित, सुदर्शन, हेमंत, सुनीता, काजल कृष्णा, अंबिका, स्वाति, लखि, दिवाकर, नीतीश, मदन, प्रधान, जयराम, विजय, विष्णु, अशोक महतो अन्य मौजूद थे.