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रांची/डेस्कः- उत्तर प्रदेश का एक युवक काफी चर्चा में है कुछ दिन पहले जिसे 6वीं बार सांप काटा था. सांप काटने के बाद अस्पताल जाकर अच्छा हो जाता था फिर काट लेता था. कहा जाता है बार बार सांप का जहर शरीर में जाने से सांप का जहर बेअसर हो जाता. इतिहास से लेकर मार्डर्न युग में भी ऐसे कई उदाहरण देखे गए हैं.
क्या वाकई जहर बेअसर हो जाता है
मिथ्रिडेटिज्म एक प्रक्रिया है जिससे जहर के प्रति शरीर में प्रतिरक्षा पैदा करना है. पर ये हर किस्म के पॉवाइजन के साथ मुमकिन नहीं है औऱ हर तरह की शरीर पर भी ये मुमकिन नहीं है. शरीर में जहर तब बेअसर करता है जब शरीर का मेटाब्लिज्म उसपर ठीक से काम करता है और नॉर्मल खाने जैसा उसे पचा लेता है. मेटाब्लिज्म एक खास तरह का एजाइम शरीर में बनाता है ताकि जहर शरीर में पच सके. ये वैसा ही है जैसे किसी इलाके में मिर्च मसाला खाने वाले का लीवर उसी तरह से कंडिशनिंग हो जाती है जिससे उसके बच्चे भी ज्यादा मिर्च मसाला खाने के आदि हो जाते हैं. जिससे वो बीमार भी नहीं पड़ते.
हल्का साइनाइड पच जाता है
सेब के बीज में हाइट्रोजन सायनायड जहर पाया जाता है वहीं हमारा शरीर इसका आदि हो चुका रहता है. इसे पचाने के लिए रोडेनीज नाम का एँजाइम बनता है. जो सायनायड को कम घातक जहर थियोसायनायड में बदल दिया जाता है. जहर तोड़ने वाले एंजाइम के प्रोसेस के चलते शरीर सेब का बीज को पचा पाता है. लेकिन वहीं ज्यादा मात्रा में सायनायड का शरीर में जाना भी खतरनाक साबित होता है. चुंकि लीवर उतना जल्दी प्रोसेस नहीं कर पाता है.
कोशिश पड़ सकती है भारी
हैवी जहर कैडमियम व मरकरी जैसी चीजों का माइक्रोडेज लेना भारी पड़ सकता है, शरीर में ऐसे जहर पचाने की क्षमता नहीं होती है, जिससे शरीर बीमारी से ग्रसित हो जाती है.
पकोक्कू ट्रआइबल
बर्मा में एक ट्रआइबल पाया जाता है.- पकोक्कू, शरीर में गुदे टैटू के नाम से विख्यात है ये ट्रआइव. ये कोई आम टैटू नहीं है सांप के जहर से बना होता है ये टैटू. जहरीले सांप को पकड़ कर उसके जहर को टैटू इंक में मिलाकर टैटू बनवाते हैं. इसलिए घने जंगलों में रहने वाली इस ट्रआईवल का कभी किसी जहरीले सांप काटने से नहीं होता है.