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रांची/डेस्क: साइंस ने हर नामुमकिन चीजों को आसान बना दिया हैं. चाहे वो पढ़ाई सेक्टर में हो या हेल्थ सेक्टर में. इसे में विज्ञान ने एक और असंभव को मुमकिन कर दिखाया हैं. जापान में पहली बार आनुवंशिक रूप से इंजीनियर सुअर की किडनी को सफलतापूर्वक बंदर में ट्रांसप्लांट किया गया हैं. Japanese Startup PorMedTech ने सोमवार को इस उपलब्धि की घोषणा की. कागोशिमा यूनिवर्सिटी और क्योटो प्रीफेक्चरल यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने यह प्रक्रिया पूरी की. 7 वर्षीय बंदर में 2½ महीने के सुअर से ली गई किडनी ट्रांसप्लांट की गई, जिसे वायरस संक्रमण और प्रतिरक्षा अस्वीकृति के जोखिम को कम करने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया था.
बंदर स्वस्थ, विज्ञान को मिली सफलता
सोमवार तक बंदर स्वस्थ था और उसकी मूत्र प्रणाली सामान्य रूप से काम कर रही थी. यह इस बात का संकेत है कि सुअर की किडनी बंदर के शरीर में पूरी तरह अनुकूल हो रही हैं. शोधकर्ता ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन (पशु अंगों का इंसानों में प्रत्यारोपण) को भविष्य में व्यावहारिक बनाने की दिशा में यह कदम बेहद अहम मान रहे हैं.
क्लोन पिगलेट से बना इतिहास
पोर्मेडटेक ने फरवरी 2024 में पहली बार क्लोन पिगलेट तैयार किए थे. अब तक कंपनी ने 39 डोनर सूअर तैयार किए है, जिनमें से 13 का इस्तेमाल ऐसे और प्रयोगों के लिए किया जाएगा.
इंसान को क्या होगा फायदा?
यह शोध ऑर्गन डोनेशन की समस्या का समाधान बन सकता हैं. अगर ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन इंसानों के लिए सुरक्षित और सफल साबित होता है, तो ऑर्गन फेलियर के मरीजों को नई जिंदगी मिलने की उम्मीद हैं. बंदर पर यह प्रयोग दिखाता है कि इंसान में भी जल्द सुअर के अंग ट्रांसप्लांट कर गंभीर बीमारियों से निपटा जा सकता हैं. यह विज्ञान की दुनिया में एक ऐतिहासिक कदम हैं.