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रांची/डेस्क: बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर के महीने में चुनाव होने वाले है. इसे लेकर सभी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है. सभी राजनीतिक दल अभी से ही अपना शक्ति प्रदर्शन कर रही है और अपनी-अपनी प्लानिंग में कूट गई है. ऐसे में भाजपा के प्लानिंग के लिए सबसे पहले एक हिनाम सामने आता है और वह नाम है अमित शाह. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भारतीय जनता पार्टी का चुनावी चाणक्य माना जाता है. साल 2014 से लगातार अब तक उनकी मेहनत और सुचिंतित रणनीति दिखती रही है.
बता दें कि भारत में साल 2014 के बाद भाजपा शासित सरकारों की संख्या लगातार बढ़ती गई है. भाजपा ने नॉर्थ ईस्ट राज्यों में अपनी गहरी पैठ जमा ली है. इसके पीछे अमित शाह की रणनीति रही है. साल 2015 के बिहार चुनाव में NDA चूक गई थी. लेकिन अमित शाह ने दो साल बाद ही नीतीश कुमार को पटा लिया और महागठबंधन सरकार का पटाक्षेप करा दिया था. इस साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अमित शाह ने बिहार में डेरा डालने की बात कही है. ऐसे में उनका बिहार का दो दिवसीय दौरा भी हो गया है. इस दौरान उन्होंने भाजपा के साथ-साथ एनडीए में शामिल पार्टियों के नेताओं के साथ अलग-अलग मुलाकात और बैठक की और उन्हें जीत का मंत्र भी दिया. उन्होंने चुनाव के नेतृत्व को लेकर भी साफ़ कर दिया है कि इस बार का चुनाव भी नीतीश कुमार के नाम पर मुहर लगा कर लड़ा जाएगा. ऐसे में JDU को भी राहत मिली है. उन्होंने NDA के लिए मिशन 225 पर मुहर लगा दी है. इसका मतलब यह है कि इस बार 243 में 225 सीटों पर NDA को जीत का टास्क दिया गया है.
शाह ने दिखाया था यूपी में करिश्मा
पहली बार अमित शाह की कुशल चुनावी रणनीति उत्तर प्रदेश में दिखी थी. साल 2013 में भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी को पीएम फेस बनाने का फैसला किया था. ऐसे में उनके आग्रह पर उस समय के तत्कालीन पार्टी प्रमुख राजनाथ सिंह ने अमित शाह को उत्तर प्रदेश का प्रभारी महासचिव बनाया. इसके बाद यूपी में अमित शाह ने बूथ स्तर पर संगठन को काफी मजबूत किया. इसके नतीजा साल 2014 के लोकसभा चुनाव के परिणाम में दिखे. चुनाव में भाजपा ने उत्तर प्रदेश के 80 संसदीय सीट में से 71 सीट पर जीत हासिल की थी. 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा की यह बेमिसाल जीत आधार बन गई. ऐसे में यूपी की कमान समाजवादी पार्टी के हाथों से निकल गई. चुनाव जीतने के बाद योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद के चुनाव यानी साल 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से भाजपा ने जीत हासिल की और योगी आदित्यनाथ एक बार फिर से सीएम बने. यूपी की जनता ने नरेंद्र मोदी के नाम पर और योगी के काम पर एक बार फिर से भाजपा को जीत दिलाया. इस जीत में अमित शाह के बूथ स्तर पर तैयार किए गए सांगठनिक ढांचे की भूमिका भी कम न थी.
ज्यादातर मामलों में शाह सफल
अमित शाह ओ ज्यादातर मामले में सफलता मिल ही जाती है. उनका काम करने का तरीका औरों से काफी अलग होता है. वह किसिस भी काम को करने से पहले उसके बारे में बड़ी ही बारीकी से रिसर्च करते है. वह केंद्रीय गृह मंत्री है. ऐसे में इस पद में रहने के कारण उन्हें क्सिसी भी चीज़ में कमी को खोजने में मुश्किल नहीं होती है. आइये आपको इस बारे में समझाते है. इसके लिए आपको एक दशक पीछे चलना होगा. राज्यसभा सीटों के लिए गुजरात में चुनाव होने थे. उस समय कांग्रेस कोटे से सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल प्रत्याशी थे. उनके जीत को लेकर कोई संशय नहीं था. लेकिन अहमद पटेल का खेल अमित शाह की रणनीति से बिगड़ गया. उस समय हुआ यह कि कांग्रेस के ही एक विधायक को भाजपा ने उम्मीदवार बना दिया. ऐसे में कांग्रेस के 6 विधायकों ने उनके समर्थन में इस्तीफा दे दिया. इस दौरान कांग्रेस के विधायकों में काफी भगदड़ मच गई. इसे रोकने के लिए बाकी के विधायकों को कांग्रेस ने कर्नाटक भेज दिया. ऐसे में सभी विधायक कर्नाटक में वे जिसके मेहमान बने, उसके यहां केंद्रीय एजेंसियों ने दस्तक दे दी. तो कुछ ऐसी होती है अमित शाह की रणनीति. इस कारण से उन्हें लोग चुनावी चाणक्य कहने लगे.
अमित शाह बिहार में जमाएंगे डेरा
बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर के महीने में चुनाव होने वाले है. इसे लेकर सभी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है. ऐसे में वहां अमित शाह की रणनीति कितनी सफल होती है यह बात चुनावी परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा. अमी शाह ने बिहार में डेरा डालने की घोषणा कर दी है. ऐसे में इस बात का संकेत तो साफ मिल रहा है कि बिहार में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार बनाने का संकल्प उन्होंने ले लिया है. अमित शाह की कामयाबी में संदेह की एक ही गुंजाइश दिखती है. 2021 में तमाम तरह की रणनीति के बावजूद भी बंगाल में भाजपा ममता बनर्जी का कुछ बिगाड़ नहीं पाई थी.लेकिन अमी शाह की असफलता का बस इक्का-दुक्का उदाहरण मिलेगा. वह ज्यादातर मामले में सफल ही रहते है. उन्होंने इस बात का इशारा पहले ही कर दिया है कि बिहार में अगली सरकार भाजपा के नेतृत्व में बनने वाली है. एक TV चैनल के कार्यक्रम में उन्होए कहा था कि बिहार में इस बार चुनाव नीतीश कुमार के नेत्रिवे में ही लड़ा जाएगा. लेकिन सीएम फेस का फैसला संसदीय बोर्ड की बैठक में लिया जाएगा. बीते शनिवार 29 मार्च को पटना में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की. इस दौरान उन्होंने यह एक बार फिर से दोहराया कि इस बार का चुनाव NDA नीतीश कुमार के नेत्रिवा में ही लड़ेगा. लें सीएम फेस के सवाल पर वह चुप हो गए.
अमित शाह के दस्तक से सहमी RJD!
बिहार में चुनाव के लिए अमित शाह ने दस्तक दे दी है. विधानसभा चुनाव तक उनकी ख़ास नजर बिहार में रहेगी. उन्होंने यह कहा है कि वह बिहार में डेरा जमाएंगे. ऐसे में संभावना है कि चुनाव के उच्च महीनों पहले उनके बिहार आने की फ्रीक्वेंसी बढ़ जाए. उनके डेरा जमाने की बात को लेकर महागठबंधन में काफी भय है. बता दें कि अमित शाह के ऊपर कई मंत्रालयों का जिम्मा है. बिहार में वह दो दिन तक रहे. इतने में ही उन्होंने सबके होश पुख्ता कर दिया. महागठबंधन को यह दर है कि कहीं विकासशील इंसान पार्टी (VIP) सुप्रीमो मुकेश सहनी को वे अपने पक्ष में न खिसका लें. बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मुकेश सहनी को Y+ सिक्योरिटी मुहैया कराई थी. उस समय यह काफी चर्चा हुई थी कि सहनी NDA में वापसी कर सकते है. इस पर NDA के साथियों और भाजपा के नेताओं कोई चर्चा नहीं की थी. इस बारे में अभी कोई खबर बाहर नहीं आई है. लेकिन इस बात को लेकर अभी निश्चिंत भी नहीं हुआ जा सकता. बता दें कि मुकेश सहनी अभी फिलहाल महागठबंधन में RJD के भरोसेमंद साथी है. इस बार के चुनाव को लेकर JDU को इस बात का डर था कि कही अमित शाह नीतीश कुमार की सेहत को लेकर कोई अप्रिय फैसला ना सुना दें. लेकिन उन्होंने यह बात कहकर सबको निश्चिंत कर दिया है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA चुनाव लड़ेगा. ऐसे में चुनाव तक JDU में कोई खतरा नहीं दिख रहा है.
प्री और पोस्ट पोल के मास्टर है शाह
अगर बिहार में अमित शाह की नजर है तो इसे लेकर कई बातें हो सकती है. जैसे, विपक्ष में तोड़-फोड़ की जाए. प्री पोल की प्राथमिकता यही होगा. इसके अलावा वह एक और महत्वपूर्ण काम कर सकते है. वह यह है कि कैसे भाजपा के शर्तों पर सहयोगी दलों को टिकट के लिए राजी किया जाए. सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा हो रही है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने एक साथ बिहार के जिन 6 लोगों के यहाँ छापेमारी की थी और 11 करोड़ से अधिक नकदी बरामद की थी. वह सभी लोग नीतीश कुमार के करीबी रहे है. भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता तारिणी प्रसाद भी इसमें शामिल है. इन्हें नीतीश सरकार ने एक्सटेंशन देकर रखा था. ऐसे में इसे JDU को भाजपा की बात मान लेने के तौर पर देखा जा रहा है. इसके अलावा अमित शाह पोस्ट पोल के भी मास्टरमाइंड माने जाते है. महाराष्ट्र में शाह की शिंदे को समझाने में अहम भूमिका रही थी. यही नहीं उन्होंने जम्मू-कश्मीर में भी अपना करिश्मा दिखाया था. साल 2014 में पीडीपी के नेतृत्व वाली सरकार में भाजपा ने भागीदारी की थी.