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रांची/डेस्क: झारखंड के पुलिस डीजीपी (महानिदेशक) के पद पर अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को गलत मानते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है. उन्होंने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने बिना किसी गंभीर आरोप के आईपीएस अधिकारी अजय कुमार सिंह को उनके कार्यकाल के पूरा होने से पहले ही डीजीपी के पद से हटा दिया, जबकि उनका कार्यकाल 14 फरवरी 2025 तक था.
अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को बताया अवैध
बाबूलाल मरांडी ने याचिका में यह भी कहा कि अनुराग गुप्ता को प्रभारी डीजीपी के रूप में नियुक्त करना अवैध है, जबकि उनकी सेवानिवृत्ति 30 अप्रैल 2025 को है. अजय कुमार सिंह के कार्यकाल के बाद केवल दो महीने की सेवा बचती है, जबकि नियमित नियुक्ति के लिए कम से कम 6महीने की सेवा अनिवार्य है.
बाबूलाल मरांडी ने अवमानना याचिका में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लेख करते हुए कहा है कि डीजीपी के चयन के लिए राज्य सरकार द्वारा भेजे गए आईपीएस अधिकारियों के पैनल से यूपीएससी तीन उच्च गुणवत्ता और कार्यकाल वाले नामों का चयन करेगा. ये तीन नाम यूपीएससी राज्य सरकार को भेजे जाएंगे, जिसमें से राज्य सरकार किसी एक को कम से कम दो साल के लिए डीजीपी नियुक्त करेगी. इसी प्रक्रिया के तहत राज्य सरकार ने 14 फरवरी 2023 को अजय कुमार सिंह को डीजीपी नियुक्त किया था, लेकिन उन्हें बिना किसी आरोप के पद से हटा दिया गया और अनुराग गुप्ता को प्रभारी डीजीपी बना दिया गया.
उन्होंने बताया कि प्रभारी डीजीपी के लिए कोई निश्चित प्रावधान नहीं है. अजय सिंह को हटाने के बाद यूपीएससी को एक पैनल भेजा गया, जिस पर यूपीएससी ने आपत्ति उठाई. झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान, 19 अक्टूबर 2024 को भारत निर्वाचन आयोग ने अनुराग गुप्ता को डीजीपी के पद से हटा दिया, जिसके बाद अजय कुमार सिंह को पुनः डीजीपी नियुक्त किया गया. 28 नवंबर 2024 को राज्य सरकार ने अजय कुमार सिंह को फिर से डीजीपी के पद से हटा कर अनुराग गुप्ता को प्रभारी डीजीपी बना दिया, और बाद में उन्हें इस पद पर स्थायी रूप से नियुक्त किया गया.
मुख्य सचिव समेत पांच लोगों को प्रतिवादी बनाया
बाबूलाल मरांडी ने अवमानना याचिका में झारखंड की मुख्य सचिव अल्का तिवारी, गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल, डीजीपी अनुराग गुप्ता, डीजीपी चयन समिति के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश रत्नाकर भेंगरा और समिति के सदस्य पूर्व डीजीपी नीरज सिन्हा को प्रतिवादी बनाया है. बाबूलाल काआरोप है कि इन सभी ने सुप्रीम कोर्ट के प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार के आदेश की अनदेखी की और कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया. राज्य सरकार द्वारा गठित डीजीपी चयन समिति में संघ लोक सेवा आयोग और झारखंड लोक सेवा आयोग का एक नामित सदस्य होना आवश्यक है, जबकि अनुराग गुप्ता के चयन के लिए आयोजित समिति की बैठक में न तो यूपीएससी का कोई सदस्य था और न ही जेपीएससी का.