जैविक सब्जियों के प्रयोग से रूक सकती है कई जानलेवा बीमारी, कलिगा गांव कभी रहा है घोर नक्सल प्रभावित
किशोर कुमार जायसवाल/न्यूज़11 भारत
गुमला/डेस्क: गुमला सदर प्रखंड का कलिगा पंचायत की महिलाएं सब्जी की खेती कर आज आर्थिक स्वावलंबन की नयी दास्तां लिख रही हैं. महिलाएं सब्जी की खेती कर सलाना दो से तीन लाख रूपये सभी खर्च काटकर कमा रही हैं. वही खेती भी जैविक कर रही हैं. जिसे स्थानीय लोग कई हानिकारक बीमारियों के जद में आने से बच रहे हैं. जैविक खेती से किसानों ने लोगों को स्वास्थ्य रखने का भी एक अभीयान चला दिया है. क्योंकि वर्तमान समय में मेहनत की गाढ़ी कमाई का आधा हिस्सा स्वास्थ्य चिकित्सा में खर्च हो जा रहा है. कभी कलिगा पंचायत घोर नक्सल प्रभावित गांव था. जहां शाम ढलते ही घरों के दरवाजे बंद हो जाते थे. पीएलएफआई उग्रवादी संगठन के सदस्यों का यह क्षेत्र अड्डा रहता था. लेकिन नक्सल उन्मूलन के साथ ही क्षेत्र का विकास भी आरंभ हुआ. सब्जी की खेती से गांव में पलायन पूरी तरह रूक गई. क्योंकि एक फसलीय खेती के बाद क्षेत्र के किसान बाहर कमाने निकल जाते थे. परंतु गांव में अब महिला किसान स्वावलंबन ट्रस्ट की इंट्री हुई और महिलाओं को खेती के प्रति जागरूक किया. संस्थान गुमला के पूर्वी भाग के कई गांवों में वृहत पैमाने पर जैविक खेती करा रहा है.
संस्थान के सहयोग से महिला किसानों को गांव में सब्जी के पौधे कम लागत में मिलने लगे. कम खर्च पर पौधे मिलने पर किसानों ने सब्जी की जमकर खेती की और उससे अधिक मुनाफा कमाया जा रहा है. जिसका परिणाम हुआ कि बाहर जाने वाले किसानों को उनकी पत्नियों ने घर पर ही खेती करने के लिए प्रेरित किया और आज वे अपने ही खेत पर बेहतर रोजगार प्राप्त कर अपनी जीवन शैली बदल रहे हैं. आर्थिक स्थिति मजबूत होने पर किसान अपने खेतों पर बोरिंग कराकर भी सब्जी की खेती कर रहे हैं. यू कहें कि खेती किसान जहां देश की आर्थिक समृद्धि का सरल मार्ग है. वहीं किसानों के उन्नति का भी सबसे कारगर उपाय है. जिन गांवों में मनरेगा से कुंआ मिला है. वहां पर भी किसान सब्जी की अच्छी खेती कर अपने जीवन स्तर को सुधार चुके हैं.
सब्जी की खेती कर अपने जीवन स्तरी में किया सुधार: महिला किसान
महिला किसान सुमति देवी ने बताया कि लगभग वे लगातार जैविक तरीके से सब्जी की खेती कर अपने जीवन स्तर में सुधार की है. 17 हजार की लागत से उन्होंने गोभी के पौधे संस्थान से लिये थे. जिसमें सभी खर्च काटकर उन्हें दो लाख रूपये का मुनाफा हुआ. उनके पति भी उनके खेती बारी में पूर्ण सहयोग कर रहे हैं. पंचायत समिति सदस्य सह किसान कमला कच्छप ने बताया कि वे जैविक तरीके से एक एकड़ भूमि पर गोभी की खेती की है. साथ ही शिमला मिर्च, तजबुज की खेती भी कर रही है. जिसे अच्छी आमदनी होगी. निर्मला तिर्की, पुष्पा देवी, आशा देवी, राधिका देवी व बिरसमुनी देवी ने बताया कि पहले उनके गांव के लोग धान की फसल कर बाहर कमाने चले जाते थे. लेकिन जब से संस्था ने सहयोग किया वे लगातार सब्जी की खेती कर अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं.
गुमला के पूर्वी भाग के नौ पंचायतों में हो रहा है जैविक खेती: ज्योति
गुमला महिला किसान स्वावलंबन ट्रस्ट सीएलएफ थ्री की एरिया मैनेजर ज्योति खंडित ने बताया कि उनके संस्थान के माध्यम से गुमला के पूर्व भाग के नौ पंचायत, मुरकुंडा, अंबवा, अरमई, पुगु, कुम्हरिया, फसिया, वृंदा व कसीरा पंचायत में जैविक खेती कराया जा रहा है. जैविक सब्जी की खेती से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुई है. कलिगा पंचायत में खेती को बढ़ावा देने के लिए संस्था तीन लिफ्ट एरीग्रेशन भी लगा रही है. इन पंचायतों में वर्ष 2017 से खेती आरंभी हुई. जिसे क्षेत्र के किसानों का कायाकल्प हुआ और पलायन पर ब्रेक लग गया. संस्थान रायडीह के सिपरिंगा प्लांट से किसानों को कम दाम में सब्जी के पौधे भी मुहैया कराती है.