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रांची/डेस्क: केंद्र सरकार ने 3 वर्षों के अंतराल के बाद झारखंड को प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत आवास आवंटित कर दिया है. केंद्रीय कैबिनेट के निर्णय में पूरे देश में तीन करोड़ पीएम आवास बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. जिसके तहत अन्य राज्यों के साथ-साथ झारखंड को भी एक लक्ष्य आवंटन किया गया है. राज्य सरकार को इस बार भारत सरकार के 113195 आवास बनाने का लक्ष्य सौंपा गया है.
इस संबंध में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा झारखंड को आवंटन आदेश जारी किया गया है. सबसे अधिक आवास आवंटन पलामू, गढ़वा, गिरिडीह और रांची जिलों को किया गया है, जबकि कोडरमा और खूंटी जिलों को सबसे कम आवास निर्माण का लक्ष्य दिया गया है. लक्ष्य प्राप्त होते ही ग्रामीण विकास विभाग योग्य लाभार्थियों के चयन की प्रक्रिया पुनः प्रारंभ करेगा. प्रत्येक लाभार्थी को आवास निर्माण के लिए दो- दो लाख रुपये की राशि प्रदान की जाएगी.
राज्य सरकार ने शुरू किया अबुआ आवास
बता दें कि झारखंड सरकार ने 2020-21 में लगभग 10 लाख लाभार्थियों की सूची तैयार कर भारत सरकार को भेजी, जिसमें उल्लेख किया गया कि इन लोगों के पास स्थायी आवास नहीं है. और वे बेघर श्रेणी में आते हैं. केंद्र ने इस सूची की समीक्षा के बाद दो लाख अयोग्य लाभार्थियों के नाम हटा दिए. इसके बाद आठ लाख लाभार्थियों को आवास प्रदान करने की मांग की गई. केंद्र ने इस पर यह शर्त रखी कि पहले लंबित आवासों का निर्माण पूरा किया जाए, उसके बाद ही नए आवास आवंटित किए जाएंगे.
हालांकि, राज्य सरकार ने दो लाख से अधिक लंबित आवासों का निर्माण तेजी से किया, लेकिन अभी भी 33 हजार आवास लंबित हैं. इस बीच, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र पर आरोप लगाया कि वह गरीबों को आवास से वंचित कर रहा है. इसके बाद मुख्यमंत्री ने अबुआ आवास योजना की शुरुआत की, जिसमें तीन कमरों का स्थायी मकान बनाने के लिए दो लाख रुपये देने की स्वीकृति दी गई. पहले चरण में आठ लाख लाभार्थियों का चयन किया गया, जिसके खिलाफ दो लाख आवासों की मांग की गई.