ज़फ़र आक़िल/न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: लोकसभा चुनाव में एनडीए को मिली जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके मंत्रियों ने शपथ तो ले ली है. लेकिन सरकार के सुचारू रूप से चलने से पहले ही लोकसभा अध्यक्ष पद को लेकर इन दिनों चर्चा जोरों पर है. एनडीए और इण्डिया गठबंधन में से किसी ने भी लोकसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. जबकि सत्र के शुरू होने में महज कुछ दिन ही रह गये है. एनडीए में स्पीकर पद को लेकर मंथन जारी है. केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने इसकी पेचीदगी खत्म करने के लिये बागडोर संभाल रखी है. वो किसी हद तक अपने सहयोगियों को मनाने में कामयाब हो गये हैं. लेकिन तेलगु देशम पार्टी (TDP) के इसको लेकर पत्ते नहीं खोलने से असमंजस की स्थिति बनी हुई है.
इण्डिया गठबंधन राजनीतिक रोटी सेंकने में लगी
वहीं इण्डिया गठबंधन के नेता इस मौके का लाभ उठाकर राजनीति रोटी सेंकने में लग गये हैं. वहीं तेलगु देशम पार्टी की ओर से स्पीकर पद की डिमांड की बातें भी चर्चा में है. इण्डिया गठबंधन के कई नेताओं ने बयान दिया है कि टीडीपी अगर अपना कैंडिडेट स्पीकर पद के लिये देती है तो गठबंधन उसे समर्थन देगा. इससे बहुत हद तक सियासी गलियारे में सशोपंज की स्थिति बन गयी है.
एक वोट से गिर गई थी अटल सरकार
बीजेपी की कोशिश है कि स्पीकर पद पर उनकी पार्टी को मिले. ताकि बीजेपी अपने हिसाब से सदन को चला सके और अपनी बातों को सदन के पटल में सही तरीके से रख सके. लेकिन ऐसा होता स्पष्ट रूप से नहीं दिख रहा है. साथी ही बीजेपी नहीं चाहती कि 1999 की बाजपेयी सरकार की तरह आनेवाले दिनों में किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़े. मार्च 1998 में एनडीए की सरकार अटल बिहारी के नेतृत्व में बनी थी. लेकिन एक साल बाद ही अन्नाद्रमुक ने केन्द्र सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था. इसके बाद एनडीए के सामने सदन में बहुमत साबित करने की नौबत आ गयी थी. उस समय तेलगु देशम पार्टी के जीएमसी बालयोगी लोकसभा स्पीकर पद पर थे. 15 अप्रैल को अटल बिहारी बाजपेयी ने विश्वास प्रस्ताव पेश किया. इसमें मायावती, सैफुद्दीन सोज और गिरधर गमांग ने विरोध में अपना वोट दिया. इससे बाजपेयी सरकार के पक्ष में 269 वोट और विरोध में 270 पड़े. एक मत से सरकार गिर गयी. इस वोटिंग के दौरान गिरधर गमांग को वोट देने की अनुमति मिली. जबकि गिरधर गमांग इससे कुछ दिन पहले की ओड़िशा के मुख्यमंत्री बनाये गये थे. लेकिन उन्होंने उस वक्त तक सांसद के पद से इस्तीफा नहीं दिया था.
बीजेपी का स्पीकर पद अपने पास रखने की कोशिश
लोकसभा चुनाव में वर्तमान में बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है. सहयोगी दलों के समर्थन से एनडीए की सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बनी है. ऐसे में बीजेपी के लिये स्पीकर का पद अपने पक्ष में रखना महत्वपूर्ण माना जा रहा है. ताकि इतिहास फिर से दोहराया न जा सके.