कृपा शंकर/न्यूज 11 भारत
बोकारो/डेस्क: राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने एक नई पहल करते हुए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के लिए सेक्टर 5 स्थित बोकारो क्लब में तीन दिवसीय मेला 'तरंग' का आयोजन किया. यह मेला 5 जुलाई से शुरू होकर 7 जुलाई तक चलेगा. उप विकास आयुक्त गिरजा शंकर प्रसाद ने दीप प्रज्वलित कर मेला का उद्घाटन किया. कलाकार और प्राथमिक उत्पादक अपने अनूठे उत्पादों के साथ मेले में प्रदर्शन और विपणन करेंगे. इस दौरान डीडीसी गिरजा शंकर प्रसाद ने मेले में लगे खाद्य पदार्थो व विभिन्न वस्तुओं के स्टोलों का भी निरीक्षण किया. खरीदारी भी की. साथ ही सभी आम नागरिकों से सभी से मेले में पहुंचने तथा किसान द्वारा बनाएं विभिन्न वस्तुओं की खरीदारी करने की अपील की. किसानों को बढ़ावा देने की बात कही. ताकि किसान और बढ़- चढ़कर अपने उत्पाद को आगे बढ़ावे. उन्होंने कहा कि नाबार्ड के इस अभिनव कदम का उद्देश्य एफपीओ की सामूहिकता का जश्न मनाना है और उनके प्रयासों को पहचानना है. मेले में भाग लेकर राज्य के कृषि उत्पादक संगठनों से जुड़े. किसान भाईयों के उत्पादों को खरीदकर उनका उत्साहवर्धन करें, उनके प्रयासों को सराहें. मौके पर डीडीएम नाबार्ड फिलमोन बिलुंग, जिला कृषि पदाधिकारी उमेश तिर्की, जिला मत्स्य पदाधिकारी परिशेरती भार्गवी, जेएसएलपीएस डीपीएम प्रकाश रंजन सहित क्षेत्रीय प्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक, एजीएम, नाबार्ड, केवीके, एसएफएसी के प्रतिनिधि प्रतिनिधि उपस्थित थे.
एफपीओ के उत्पादों को बढ़ावा देना और विपणन के लिए एक मंच प्रदान करना मुख्य उद्देश्य
डीडीएम नाबार्ड फिलमोन बिलुंग ने कहा कि मेले का उद्देश्य एफपीओ के उत्पादों को बढ़ावा देना है. साथ ही विपणन के लिए एक विशेष मंच प्रदान करना है. नाबार्ड द्वारा आयोजित इस मेले में, लघु कृषक कृषि-व्यापार संघ (एसएफएसी) और ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) का सहयोग भी शामिल है. कहा कि इस मेले में प्रदेश के 38 से अधिक कृषक उत्पादक संगठनों के उत्पाद बिक्री के लिए उपलब्ध है. इनमें मिलेट्स आधारित उत्पाद, दालें, डेयरी आधारित उत्पाद, मसाले, लघु वनोपज, अचार, गुड़ एवं खाद्य तेल शामिल है. यह मेला न केवल किसानों के उत्पादों को बाजार प्रदान करेगा, बल्कि उनके अनुभवों को साझा करेगा. उनके सर्वोत्तम कार्यों का प्रदर्शन करने का यह एक अद्भुत मंच है. साथ ही उन्होंने बोकारो के नागरिकों से झारखंड और आस-पास के राज्यों से कला, शिल्प और अन्य कृषि उत्पादों के मिश्रण का अनुभव करने की अपील की.