न्यूज11 भारत
रांची/डेस्क: ईद मिलादुन्नबी का दिन मुस्लिम समुदाय के लिए विशेष है. इस दिन पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का जन्मदिन है. यह एक धार्मिक पर्व है. इस विशेष पर्व पर मुस्लिम समुदाय के लोग पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का गुणगान करते हैं और ईद मिलादुन्नबी पर जुलूस निकाला जाता है.
अजमेर में इस बार मुस्लिम समुदाय आमजन को क्लीन अजमेर और ग्रीन अजमेर का भी संदेश देंगे. ईद मिलादुन्नबी के जलसे मुस्लिम समुदाय की कई संस्थाएं व्यवस्थाओं में शिरकत करती है. इनमें सूफी इंटकनेशनल संस्था भी शामिल होगा.
सेठ मोहन अग्रवाल का परिवार 1963 से बना रहा ताजिया
सूफी इंटरनेशनल के अध्यक्ष हाजी सरदर सिद्दीकी ने बताया कि हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल है. सेठ मोहन अग्रवाल का परिवार 1963 से ताजिया बना रहा है. इस बार ताजिया के जरिए क्लीन अजमेर दीन अजमेर का संदेश दिया जाएगा. साथ ही बताया कि इस्लाम में पाक का बेहद ही विशेष महत्व होता है, बल्कि आधा ईमान माना गया है. इसलिए स्वच्छता का विशेष ध्यान दिया जने का संदेश जाएगा.
मोहम्मद साहब केवल मुस्लिम के लिए नहीं बल्कि इंसानियत के लिए है
चिश्ती के जानकारी देते हुए बताया कि अजमेर में जश्ने ईद मिलादुन्नबी के जुलूस में गंगा जमुनी तहजीब भी देखने को मिलती है. पैगंबर मोहम्मद साहब केवल मुस्लिम समुदाय के लिए ही नहीं बल्कि पूरी इंसानियत के लिए है. मोहम्मद साहब से पहले औरतों को जिंदा दफनाने की प्रथा थी. जंग में फसलों और पेड़ों को जला दिया जाता था बच्चों और औरतों को कैद कर लिया जाता था. इसके साथ ही गुलामी प्रथा थी. मोहम्मद साहब ने उन सभी कुप्रथाओं को बंद करवा दिया.
इस बार नहीं बजेगा डीजे, ढोल बजाने से भी किया मना
सूफी इंटरनेशनल के अध्यक्ष हाजी सरदर सिद्दीकी ने बताया कि जुलूस सुबह 9 बजे रवाना होगा जो त्रिपोलिया गेट होता हुआ दरगाह के निजाम गेट से होकर दरगाह बाजार, देहली गेट गंवारा सर्किल होते हुए सुभाष उद्यान पहुचेगा. जुलूस में हमेशा की तरह इस बार डीजे नहीं बजेगा साथ ही देहली गेट के समीप लोगिया क्षेत्र से वही संख्या में लोग ढोल नगाड़ों के साथ जुलूस में शामिल हुआ करते थे, उन्हें भी ढोल बजाने से मना किया गया है.
साथ ही सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जुलूस और उसमें शामिल हुए लोगों को ड्रोन से निगरानी भी होगी ताकि जुलूस में कोई सामाजिक गतिविधि ना हो सके.