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रांची/डेस्क: आंखों का रंग किसी की खूबसूरती को खास बनाता है. कुछ लोगों की आंखें नीली होती हैं, तो कुछ की भूरी या हरी. यह रंग केवल सौंदर्य का मामला नहीं है, बल्कि आनुवंशिकता और पिगमेंटेशन पर भी निर्भर करता है. आइए जानते हैं आंखों का रंग कैसे तय होता है.
मेलानिन का योगदान
आंखों का रंग मुख्यतः मेलानिन नामक पिगमेंट की मात्रा पर निर्भर करता है. मेलानिन त्वचा, बाल और आंखों के रंग को निर्धारित करता है. अगर मेलानिन की मात्रा कम हो, तो आंखों का रंग नीला होता है. इसके विपरीत, अधिक मेलानिन से आंखों का रंग भूरा या काला हो जाता है.
Gene की भूमिका
आंखों के रंग में जीन का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है. OCA2 और HERC2 नामक जीन क्रोमोसोम 15 पर स्थित होते हैं और ये आंखों के रंग को प्रभावित करते हैं.
OCA2 Gene : यह जीन आयरिस में मेलानिन की मात्रा को नियंत्रित करता है. अधिक मेलानिन से आंखों का रंग गहरा होता है, जैसे भूरे या काले रंग में, जबकि कम मेलानिन से नीले या हरे रंग की आंखें बनती हैं.
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HERC2 Gene: यह OCA2 जीन की क्रियाशीलता को प्रभावित करता है और आंखों के रंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. HERC2 जीन के विभिन्न संस्करण आंखों के रंग के गुणसूत्रों को प्रभावित करते हैं, जिससे नीले या भूरे रंग की आंखें बनती हैं.