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हजारीबाग नगर निगम में गड़बड़झाला: 2 स्वीपिंग वाहन, कीमत 3 करोड़, 3 साल में पूरी तरह से कबाड़ में तब्दील

वार्ड पार्षद और मेयर के विरोध के बावजूद की गई थी खरीदारी
हजारीबाग नगर निगम में गड़बड़झाला: 2 स्वीपिंग वाहन, कीमत 3 करोड़, 3 साल में पूरी तरह से कबाड़ में तब्दील
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत 

हजारीबाग/डेस्क: तीन करोड़ रुपए की लागत से खरीदा गया दो स्ट्रीट स्वीपिंग वाहन अब कबाड़ में तब्दील हो गया है. फिलहाल, दोनों ही वाहन निगम भवन के समक्ष कंडम स्थिति में खड़ा है. महीनों से यह वाहन चले नहीं है. वैसे भी ये महंगे स्वीपिंग वाहन शहर में कभी-कभी ही कुछ खास खास मौकों पर ही चलते देखे गए और अब तो चलने की स्थिति में भी नहीं है. यह स्थिति एक नहीं बल्कि दोनों स्वीपिंग वाहनों की है.

 

स्मरणीय है कि नगर निगम के द्वारा 31 अगस्त 2021 में एक साथ दो-दो स्ट्रीट स्वीपिंग मशीन युक्त वाहनों की खरीद हुई थी. इन महंगे वाहनों की खरीद पर तत्कालीन मेयर रोशनी तिकों सहित तमाम वार्ड पार्षदों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए कार्यालय के सामने धरना तक दिया था. उन सभी का कहना था कि हजारीबाग जैसे शहर में इसकी उपयोगिता नहीं है. शहर की एक दो सड़कों को छोड़ किसी जगह भी ये वाहन चल ही नहीं पाएंगे. मात्र कुछ किलोमीटर सड़क की सफाई के लिए तीन करोड़ रुपए लगाना सीधे-सीधे उपलब्ध धन की बर्बादी है. जबकि नगर निगम के पास पर्याप्त संख्या में दैनिक सफाई मजदूर उपलब्ध है.

 

लेकिन जनप्रतिनिधियों का विरोध कोई असर नहीं डाल सका और निगम में एक साथ दो-दो स्ट्रीट स्वीपिंग वाहन आ गये, जिनका उद्घाटन तत्कालीन नगर आयुक्त द्वारा नारियल फोड़कर कर दिया गया. लेकिन इन वाहनों की उपयोगिता आज भी सवालों के घेरे में है. कभी भी शहर में दोनों स्वीपिंग वाहनों को उपयोग में लाने की जरूरत नहीं पड़ी. 

 


 

हाल यह रहा कि निगम कर्मी कुछ समय तक दोनों वाहनों को बदल-बदल कर चलाते रहे. किसी रात एक वाहन को तो अगली बार दूसरे वाहन को उपयोग में लाते रहे, ताकि चालू हालत में रहे और खड़े खड़े भट्टा न बैठ जाए. लेकिन अब दोनों ही वाहनों का भट्टा बैठ गया है और दोनों ही निगम परिसर में खड़े कर दिए गए हैं. 

 

बताया जाता है कि जेएच-02 बीके/3626 नंबर का स्वीपिंग वाहन एक वर्ष से खराब हो पड़ा है, जबकि जेएच 02 बी के 8038 नंबर वाला भी कुछ महीनों से खराब है. वैसे भी नगर निगम में देखा जाए तो कबाड़ की एक पूरी छावनी है, जिसमें समय-समय पर कुछ नये नगीने शामिल होते जाते हैं. जिनकी तरफ पलट कर देखने की जहमत उठाई नहीं जाती.
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