प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: जिले की सहायिका एवं सेविका दीदियों ने अपने अधिकारों और मांगों को लेकर एकदिवसीय हड़ताल का आयोजन किया. इस दौरान उन्होंने नया समाहरणालय भवन प्रांगण के बाहर धरना-प्रदर्शन किया और झारखंड सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए अपनी तीन मुख्य मांगों को उजागर किया. इन मांगों में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार न्यूनतम वेतन का लागू होना, 18000 रुपये प्रति माह वेतन, और ईपीएफ एवं ग्रेच्युटी का प्रावधान शामिल हैं.
इसके अलावा, उन्होंने यह भी मांग की कि जो भी सेविका और सहायिका दीदी अगले 1 से 2 साल में रिटायर करने वाली है, उन्हें दो लाख रुपये की राशि प्रदान की जाए. धरना स्थल पर उपस्थित सहायिका एवं सेविका दीदियों ने बताया कि उनके हड़ताल से झारखंड में विभिन्न कार्य रुक गए हैं. उनका यह कहना है कि अगर सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है तो वे 20 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल करने की योजना बना रही हैं. जिससे राज्य की विभिन्न योजनाएं बाधित हो सकती हैं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि झारखंड सरकार उनके ऊपर कोई ध्यान नहीं दे रही है, जबकि उनकी भूमिका राज्य की विभिन्न योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने में अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं.
हड़ताल में शामिल दीदियों ने बताया है कि वे दिन-रात मेहनत करती है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को झारखंड सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके. लेकिन उचित वेतन न मिलने के कारण वे अब इस बात को लेकर काफी रूष्ट हैं. उनकी मांग है कि सरकार उनकी बातों को सुने और उनके जीवन यापन को सही तरीके से चलाने के लिए उचित वेतन प्रदान करे.
धरना स्थल पर उपस्थित एक सेविका दीदी ने कहा, हम अपनी जिम्मेदारियों को पूरी ईमानदारी से निभाते है और सरकार की योजनाओं को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. लेकिन हमें वेतन के नाम पर बहुत कम मिलता है, जिससे हमारा जीवन यापन करना मुश्किल हो गया हैं. हमें न्यूनतम वेतन, ईपीएफ, और ग्रेच्युटी की आवश्यकता है ताकि हम अपने भविष्य के लिए सुरक्षित महसूस कर सकें. उन्होंने यह भी कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर झारखंड सरकार से उच्चतम न्यायालय के आदेशों का पालन करने की अपेक्षा रखते हैं. अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो आने वाले समय में उनका आंदोलन और भी उग्र हो सकता हैं. हड़ताल में शामिल दीदियों ने स्पष्ट किया कि अगर सरकार उनकी बातों को नहीं मानती है तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को मजबूर हो जाएंगी.
धरना-प्रदर्शन के दौरान सहायिका एवं सेविका दीदियों ने अपने सहकर्मियों और जनता से भी समर्थन और सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई सिर्फ उनके लिए नहीं है, बल्कि उन सभी के लिए है जो राज्य की विभिन्न योजनाओं को सफल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा. इस एकदिवसीय धरना-प्रदर्शन ने सहायिका एवं सेविका दीदियों की समस्याओं और उनकी मांगों को उजागर किया हैं. अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि झारखंड सरकार उनकी मांगों को कैसे पूरा करती हैं. यह धरना-प्रदर्शन राज्य की विभिन्न योजनाओं की सफलता के लिए उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित करता है और उनके अधिकारों और उचित वेतन की आवश्यकता को जोरदार तरीके से प्रस्तुत करता हैं.
झारखंड सरकार की योजनाओं की सफलता में सहायिका एवं सेविका दीदियों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, यह आवश्यक है कि सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करे और उन्हें उचित वेतन और अन्य सुविधाएं प्रदान करे, ताकि वे और अधिक जोश और उत्साह के साथ अपने कार्यों को पूरा कर सकें.