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रांची: चार दिनों से जारी अधिवक्ताओं की हड़ताल की वजह से अब तक 26 हजार से अधिक मामले की सुनवाई नहीं हो सकी है. सभी जिलों के व्यवहार न्यायालयों में जमानत याचिका, फौजदारी और क्रिमिनल केस की किसी भी तरह की सुनवाई नहीं हो रही है. यहां तक की मुख्य न्यायिक दंडाधिकारियों की अदालत में होनेवाली अग्रिम जमानत के मामलों पर भी किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो रही है. झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने हड़ताल की घोषणा के बाद न्यायिक कार्यों में शामिल होनेवाले अधिवक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने की चेतावनी दी है. इस चेतावनी का भी व्यापक असर पड़ रहा है. पर झारखंड हाईकोर्ट में मामलों की सुनवाई जारी है.
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झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस आनंदा सेन ने अपनी अदालत के लंबित मामलों की सुनवाई के क्रम में पैरवीकार वकीलों के नहीं उपस्थित होने पर याचिकाओं को खारिज करना शुरू कर दिया है. इसकी सूचना मिलते ही हड़ताली वकील कोर्ट की कार्रवाही में हिस्सा लेने पहुंच गये. वकीलों की फरियाद के बाद उनके मामलों को फिर से पुनर्जीवित करने का निर्णय कोर्ट ने लिया. अधिवक्ता कोर्ट फीस में बढ़ोत्तरी किये जाने की मांग को लेकर छह जनवरी से हड़ताल पर हैं.
झारखंड स्टेट बार काउंसिल की ओर से शुक्रवार 13 जनवरी तक हड़ताल को जारी रखने का आह्वान किया गया है. शनिवार के बाद नयी रणनीति तैयार करने की बातें कही गयी है. काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने कहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अधिवक्ताओं की मांग और कोर्ट फीस पर काउंसिल के प्रतिनिधियों से खुद बात करें. अधिवक्ताओं के आंदोलन का सबसे अधिक असर आम फरियादियों पर पड़ रहा है, जिनके केस व्यवहार न्यायालय परिसरों में लंबित हैं. राज्य के व्यवहार न्यायालयों समेत हाईकोर्ट में भी किसी तरह की याचिका पर वकील बहस नहीं कर रहे हैं.
हालांकि दो दिनों से हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है. पर व्यवहार न्यायालय परिसर में किसी भी तरह का काम नहीं हो रहा है. अधिवक्ताओं के काम पर नहीं रहने से फरियादियों को कई तरह की परेशानी हो रही है. वहीं राज्य के अवर निबंधक कार्यालयों में भी जमीन की रजिस्ट्री प्रभावित हुई है. क्योंकि पेशकार वकील यहां भी अपने मुवक्किलों का काम नहीं कर रहे हैं.