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रांची/डेस्क: आज 14 मार्च, शुक्रवार का दिन है और फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है. इस अवसर पर रंगवाली होली का उत्सव मनाया जा रहा है. होलिका दहन के बाद की सुबह रंगों से भरी होली खेली जाती है, जिसमें लोग एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाते हैं, और एक-दूसरे को बधाई देते हैं. देशभर में आज हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक होली का उत्सव मनाया जा रहा है. यह रंगों का त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है. विभिन्न क्षेत्रों में होली का आगाज बसंत ऋतु के आगमन के साथ होता है.
होली केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि यह सामाजिक एकता और समानता का प्रतीक भी है. इस दिन लोग आपसी भेदभाव को भुलाकर एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और प्रेम से गले मिलते हैं. पूरे देश में होली का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा हैं, जिसमें लोग अबीर और गुलाल उड़ाकर इस रंगीन उत्सव का आनंद लेंते हैं. होली का यह पर्व मनमुटावों को भुलाकर एकता का संदेश देता है. इस दिन माता लक्ष्मी और हनुमानजी की पूजा का भी महत्व है, जिससे कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
होली के पीछे की प्रचलित पौराणिक कथाएं
होली के रंगों से खेलने की परंपरा का संबंध भगवान कृष्ण से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि भगवान कृष्ण को अपने गहरे रंग के कारण यह संदेह था कि राधा और गोपियां उनसे प्रेम करेंगी या नहीं. माता यशोदा ने उन्हें सलाह दी कि वे राधा और उनकी सखियों पर रंग डालें. इसी सुझाव ने आगे चलकर रंगों वाली होली की परंपरा को जन्म दिया. वर्तमान में वृंदावन, मथुरा, बरसाना और नंदगांव में इस परंपरा को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है.
जानें क्यों होली से एक दिन पहले किया जाता हैं होलिका दहन
वहीं, एक और होलिका दहन से जुड़ी एक प्रमुख कथा भक्त प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की है. हिरण्यकशिपु, जो एक घमंडी राजा था, जो अपने आपको भगवान मान लिया और चाहता था कि सभी उसकी पूजा करें. इसके विपरीत, उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था. हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को समाप्त करने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन हर बार वह असफल रहा. अंततः, उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को मारने का आदेश दिया. होलिका के पास एक विशेष वस्त्र था, जो उसे अग्नि से सुरक्षित रखता था. जब वह प्रह्लाद के साथ अग्नि में बैठी, तो भगवान विष्णु की कृपा से वह स्वयं जल गई, जबकि प्रह्लाद सुरक्षित रहा. इसी घटना की स्मृति में होली का त्योहार मनाया जाता है, जिसमें रंगों की होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है.
जानें आज (14 मार्च 2025) का शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:56 से 05:44
अभिजित मुहूर्त: रात्रि 12:07 से 12:55
अमृत काल: 12:56 से 02:42
मार्च 15, विजय मुहूर्त: दोपहर 02:31 से 03:19