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मानव तस्करों के झांसे में पति की चली गई जान, न्याय की आस में दर-दर भटक रही दलित महिला

मानव तस्करों के झांसे में पति की चली गई जान, न्याय की आस में दर-दर भटक रही दलित महिला

संजीत यादव/न्यूज11 भारत 


पलामू/डेस्क: पलामू जिले में मजदूरी के लिए मानव तस्करों के झांसे में फंसे एक दलित परिवार का मामला प्रकाश में आया है. हरिहरगंज थाना क्षेत्र के कटैया गांव की उर्मिला देवी के पति बिसुनदेव‌ राम के साथ जो हुआ वह तो वाकई चौंकाने वाली घटना है. इस घटना ने मानव तस्करों और पुलिसिया कार्रवाई की पोल खोल कर रख दी है. 

 

मामला बीते 5 मई का है जब महाराष्ट्र के औरंगाबाद में मजदूरी के लिए उर्मिला के पति बिसुनदेव राम को ठेकेदारी में काम दिलाने बालेंदु राम ट्रेन से ले गया. सीधे सादे और अनपढ़ बिसुनदेव को क्या पता था कि रोजगार के तलाश में महाराष्ट्र की यह यात्रा उसकी अंतिम यात्रा में परिवर्तित होने वाली है. उसे तो अपने गरीबी में रह रहे परिवार को रोटी और कपड़ा देने की खुशी थी कि चार पैसे आएंगे तो पत्नी और बच्चे घर चला पाएंगे. ठेकेदार बालेंदु की चिकनी चुपड़ी बातों में आकर बिसुनदेव खुशी-खुशी आंखों में नये सपने लिए उसके साथ चला गया.

 

7 मई की रात बिसुनदेव के बेटे लवकुश के मोबाइल पर एक फोन आता है जो बताता है कि आपके पिताजी के पास कोई पैसा नहीं है और यह हमारे पास है मनमाड़ स्टेशन पर. उस व्यक्ति ने कहा कि मैं कटिहार का रहने वाला हूं और आपके पिताजी को लेकर दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन तक आ रहा हूं इसलिए 820/- भेज दिजीए ताकि इनका टिकट बनवा लें. इस पर परिवार वालों ने उस अनजान व्यक्ति के बताए एक दूसरे मोबाइल नंबर पर पैसे भेज दिए.

 


 

8 मई को बिसुनदेव के परिजन दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन पहुंच कर इंतजार करते रहे लेकिन कोई नहीं पहुंचा. परिजनों ने उस नंबर पर फोन किया. जिस पर पैसे भेजे और जिससे फोन आया था लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया. शाम को लगभग 6.00 बजे फोन रिसीव किया गया तो कहा गया कि बिसुनदेव का जनरल टिकट था लेकिन वो एसी में बैठे हुए थे और टीटी ने पकड़ लिया है इसलिए 1500/- फाईन देना होगा. इस बात पर परिजनों को संदेह हुआ तो उन्होंने बिसुनदेव से बात कराने को कहा लेकिन तब ठगों ने फोन काट दिया.

 

थक हार कर बिसुनदेव के परिजन उसकी खोज और गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवाने महाराष्ट्र के मनमाड़ रवाना हो गए. जब परिजन भुसावल तक पहुंचे तो पता चला कि बिसुनदेव भूखे-प्यासे किसी तरह बिहार के सासाराम पहुंच गया है. तब परिजनों ने सासाराम में अपने रिश्तेदारों को फोन कर बिसुनदेव‌ को सकुशल बरामद किया.

 

किसी तरह ट्रेन बदल-बदल अलग-अलग स्टेशन होते हुए परिजनों ने सासाराम तक वापसी की तो रास्ते में ही पता चला कि बिसुनदेव की मौत हो गई है. 14 मई को उसका अंतिम संस्कार शव को सासाराम से पलामू लाकर किया गया. बिसुनदेव‌ की मौत न सिर्फ सवालों के घेरे में है बल्कि गरीबी और भूखमरी के कारण मजदूरों के पलायन की एक दुखद दास्तान को भी बयां करती है.

 

ट्विटर पर प्रीतम भाटिया ने की थी अपील

बिसुनदेव‌ के मनमाड़ स्टेशन से लापता होने की जानकारी मिलते ही राज्य के युवा पत्रकार और समाजसेवी प्रीतम भाटिया ने ट्विटर पर फोटो सहित अपील करते हुए रेलवे पुलिस के अलावा मुख्यमंत्री, श्रम मंत्री, महाराष्ट्र और झारखंड पुलिस को टैग कर सूचित किया था. इसके बावजूद इस गंभीर मामले पर किसी भी विभाग या व्यक्ति विशेष ने संज्ञान नहीं लिया.

 

एक ओर जहां प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री मजदूरों को कोरोनाकाल में किसी तरह अपने घर तक पहुंचा रहे थे तो वहीं एक लापता मजदूर के लिए ट्विटर पर फोटो सहित संदेश देने पर संज्ञान तक नहीं लिया जाना दुखद है. अगर इस ट्वीट पर दोनों राज्यों और रेलवे पुलिस ने गंभीरता दिखाई होती तो शायद आज एक दलित और गरीब की जान‌ बच गई होती.

 

मौत के बाद प्राथमिकी के लिए भटकती रही उर्मिला

बदनसीबी और भूखमरी ने बिसुनदेव की जान तो ले ही ली लेकिन उसके परिजनों ने भी काफी कष्ट उठाएं होंगे. झारखंड से महाराष्ट्र तक भटकते एक परिवार को अंततः लाश ही देखने को मिली. इसके बावजूद उर्मिला की बदनसीबी तो देखिए जहां उसके अपने ही गृह जिले में न्याय के लिए वह 17 मई को हरिहरगंज थाना में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए सुबह से शाम तक बैठी रही. थाना प्रभारी ने मामला दर्ज करने के बजाए पहले तो टाल-मटोल करते रहे फिर दूसरे राज्य का मामला बताकर पल्ला झाड़ लिया.





 

क्या है हाईकोर्ट के अधिवक्ता तरूण सिन्हा की राय? 

रांची से हाईकोर्ट के अधिवक्ता तरुण सिन्हा ने इस मामले में दलित उत्पीड़न के साथ ही ठगी के लिए आईटी एक्ट और मानव तस्करी के लिए विभिन्न धाराओं के अंतर्गत अपराध मामला बनने की बात कही है. उन्होने बताया है कि बिसुनदेव‌ का मामला धारा 370/420/406/304/379 भादवि और 66 आईटी एक्ट के तहत दर्ज होना चाहिए था जो कि संज्ञेय अपराध के साथ ही गैरजमानतीय भी है. उन्होने कहा कि एक दलित महिला को प्राथमिकी के लिए घंटों थाना में बैठाकर इंकार कर देने पर संबंधित पुलिस पदाधिकारी पर भी एसटी एससी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है.

 

एक ओर जहां पुलिस इस मामले में घटनास्थल राज्य से बाहर होने का हवाला देकर पल्ला झाड़ रही है तो वहीं तरूण सिन्हा इस मामले में बिसुनदेव‌ को घर से ले जाने और फिर टिकट के नाम पर पैसे का ट्रांसफर ग्राम कटैया से होने पर पीओ हरिहरगंज थाना क्षेत्र ही बता रहे हैं.
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