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रांची/डेस्क: महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा दुनिया में सबसे प्रचलित और व्यापक मानवाधिकार उल्लंघनों में से एक है. वैश्विक स्तर पर, अनुमानतः 736 मिलियन महिलाएँ - लगभग तीन में से एक-अपने जीवन में कम से कम एक बार शारीरिक या यौन अंतरंग साथी हिंसा, गैर-साथी यौन हिंसा, या दोनों का शिकार हुई हैं.
यह संकट कार्यस्थल और ऑनलाइन स्थानों सहित विभिन्न स्थितियों में तीव्र हो गया है, तथा महामारी के बाद के प्रभावों, संघर्षों और जलवायु परिवर्तन के कारण और भी अधिक गंभीर हो गया है. देशभर में महिलाओं पर हो रही हिंसा को रोकने और महिलाओं को जागरूक करने के लिए हर साल 25 नवंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस’ मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का प्राथमिक उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकना और महिलाओं के बुनियादी मानवाधिकारों व लैंगिक समानता के विषय में जागरूक करना है.
बता दें कि 25 नवंबर 1960 में पैट्रिया मर्सिडीज, मारिया अर्जेटीना और एंटोनियो मारिया टेरेसा द्वारा डोमिनिक शासक रैफेल टुजिलो की तानाशाही का विरोध किया गया था. तब उस शासक के आदेशानुसार तीनों बहनों को बेरहमी से मरवा दिया गया. तब से 1981 में लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई नारीवादी एनकेंट्रोस के कार्यकर्ताओं ने 25 नवंबर को महिलाओं के खिलाफ हिंसा का मुकाबला करने और तीनों बहनों की पुण्यतिथि के रूप में मनाने का आदेश दिया. 17 दिसंबर 1999 को संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को अधिकारिक प्रस्ताव के रूप में अपनाया था.