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रांची/डेस्क: झारखंड हाईकोर्ट ने जिस केस में रांची पुलिस की जांच पर रोक लगाई है, उसमें ED की तरफ से पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. ED द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि रांची के एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा, डीएसपी कोतवाली प्रकाश सोय, पंडरा ओपी प्रभारी मनीष कुमार व कांड के अनुसंधानकर्ता शंकर टोप्पो ने ईडी के अधिकारियों को फंसाने की कोशिश की. इन अधिकारियों ने पंडरा थाने में दर्ज मामले के आरोपी संजीव कुमार पांडेय तथा अधिवक्ता सुजीत कुमार को अवैध तरीके से हिरासत में रखा और ईडी के अधिकारियों को फंसाने के लिए उनका नाम लेने का दबाव बनाया.
19 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई
प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत को जानकारी दी कि मनी लॉन्ड्रिंग के तहत चल रही ईडी की जांच को प्रभावित करने के उद्देश्य से ऐसा किया गया है. ईडी ने पंडरा ओपी में दर्ज दोनों कांडों में भी मनी लांड्रिंग के बिंदु पर जांच शुरू की है. साथ ही सभी आरोपितों के ठिकानों पर छापेमारी भी की है. जब आरोपी संजीव कुमार पांडेय तथा अधिवक्ता सुजीत कुमार के अवैध हिरासत में लिए जाने के मामले का खुलासा हुआ. ED द्वारा सभी बिंदुओं को उठाते हुए पूरे मामले की सीबीआइ जांच कराने का आग्रह किया है. ED की याचिका को गंभीर मानते हुए झारखंड हाई कोर्ट ने सभी बिंदुओं पर राज्य सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा है. इस याचिका पर अब 19 दिसंबर को सुनवाई होगी.
क्या है पूरा मामला
बता दें कि पूरा मामला जमीन घोटाला केस में ED के अधिकारियों को मैनेज करने के नाम पर करीब छह करोड़ रुपये की ठगी से संबंधित है. उक्त राशि की ठगी का आरोप अधिवक्ता सुजीत कुमार पर कांके के सीओ जय कुमार राम, पूर्व सीओ सह वर्तमान में डीटीओ धनबाद दिवाकर प्रसाद द्विवेदी, नामकुम अंचलाधिकारी प्रभात भूषण के ऊपर है. जब ED मैनेज नहीं हुआ और आरोपितों पर चार्जशीट दाखिल की तो आरोपितों ने अपने पैसे वापस मांगे. इस मामले में अधिवक्ता सुजीत कुमार के तरफ से पंडरा ओपी में रंगदारी, अपहरण आदि की प्राथमिकी दर्ज करा दी गई.