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रांची: जय जय जगन्नाथ जयकारे के साथ भगवान श्री जगन्नाथ 16 दिनों के लिए एकांतवाश में चले गए. इससे पहले श्री जगन्नाथ की स्नान यात्रा और स्पर्श दर्शन अनुष्ठान संपन्न हुआ. दिन के एक बजे मंदिर परिसर में विशेष पूजा अर्चना शुरू हुई. श्री जगन्नाथ स्वामी को 108 छोटे कलश में रखे वनौषधि एवं सुगंधित जल से स्नान कराया गया. जगन्नाथपुर मंदिर के पुजारी रामेश्वर पाढी ने भगवान के विग्रहों की विशेष आरती की. भगवान के इससे पहले गर्भ गृह से बाहर निकाला गया. मुख्य द्वारा के पास प्रभु का स्नान अनुष्ठान आरंभ हुआ.
स्नान पूजा, स्पर्श दर्शन एवं पूजन के बाद भगवान को एकांतवास के लिए गर्भगृह में ले जाया गया. जहां भगवान गर्भगृह में 16 दिनों तक रहेंगे. इस दौरान उनका दर्शन आमजन के लिए सुलभ नहीं होगा. इस दौरान प्रभु की सांकेतिक पूजा-अर्चना होती रहेगी. एकांतवास में रहने के बाद प्रभु 30 जून को नेत्रदान के बाद आमजन को दर्शन देंगे. मंदिर के गर्भगृह से बाहर आने के बाद स्नान मंडप में श्री भगवान का नेत्रदान होगा. यह अनुष्ठान 30 जून को दिन के साढ़े चार बजे से आरंभ होगा. पांच बजे से श्रद्धालुओं के लिए दर्शन सुलभ होगा. इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलराम एवं सुभद्रा के विग्रहों की आरती होगी. इसके बाद भगवान शयन के लिए लाएंगे.
एक जुलाई को रथ यात्रा निकलेगी. भगवान श्री जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलराम रथारूढ़ होकर मौसीबाड़ी के लिए प्रस्थान करेंगे. राजेश्वर पाढी ने बताया कि सुबह चार बजे महाआरती होगी. सुबह पांच बजे से पूजन और दर्शन का क्रम शुरू होगा. दोपहर में लक्ष्यार्चना के बाद विग्रहों को रथारूढ़ किया जाएगा. इसके बाद ऐतिहासिक पारंपरिक रथ यात्रा आरंभ होगी.