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रांची/डेस्क: हर आत्मा में परमात्मा बसता हैं. यही संदेश लेकर भगवान महावीर इस संसार में आए थे. जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मदिवस महावीर जयंती के रूप में हर साल चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता हैं. इस वर्ष महावीर जयंती 10 अप्रैल 2025 को धूमधाम से मनाई जा रही हैं. देशभर के जैन मंदिरों में आज विशेष आयोजन किए जा रहे हैं. जैन धर्म के अनुयायियों के लिए महावीर जयंती सिर्फ एक पर्व नहीं बल्कि आत्मज्ञान और अहिंसा की ओर बढ़ने की प्रेरणा हैं. देशभर में इस खास दिन पर शोभा यात्राएं, मंदिरों में विशेष पूजा, कलशाभिषेक और प्रभात फेरियां आयोजित की जाती हैं. आइए जानते है इस पर्व का महत्व, इसकी मान्यताएं और भगवान महावीर के अनमोल विचार जो आपकी सोच को बदल सकते हैं.
कब और कैसे मनाई जाती है महावीर जयंती?
इस बार त्रयोदशी तिथि 9 अप्रैल की रात 10:56 बजे से शुरू होकर 10 अप्रैल को रात 1:01 बजे तक रहेगी. इस पावन अवसर पर श्रद्धालु मंदिरों में भगवान महावीर की प्रतिमा का अभिषेक करते है और सोने-चांदी के कलशों से जल चढ़ाते हैं. इसके बाद मंदिरों से शोभा यात्राएं निकाली जाती है, जिनमें झांकियों, भजन, कीर्तन और प्रभात फेरियों के माध्यम से भगवान महावीर के उपदेशों का प्रचार किया जाता हैं.
क्यों खास है महावीर जयंती?
भगवान महावीर ने राजसी जीवन और भौतिक सुख-सुविधाओं का त्याग कर आत्मज्ञान की खोज में निकल पड़े थे. 12 वर्षों की कठोर तपस्या के बाद उन्होंने कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया और दुनिया को अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह और अचौर्य जैसे सिद्धांतों का मार्ग दिखाया. मौन, तप और जप करने के बाद महावीर देवता ने अपनी इंद्रियों पर पूरी तरह काबू पाया और ज्ञान प्राप्त किया था. उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि सच्चा सुख भोग में नहीं बल्कि आत्म संयम और साधना में हैं.
भगवान महावीर के अनमोल विचार जो जीवन का मार्ग दिखाएं
- जियो और जीने दो
- हर आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ है
- अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म
- घृणा से न केवल स्वयं दुखी होते है बल्कि दूसरों को भी कष्ट देते है
- अपने भीतर के क्रोध, लालच, मोह और अहंकार पर विजय पाना ही सच्ची जीत है
- सत्य बोलो, किसी का बुरा मत सोचो और त्याग की भावना से जीवन जियो
- सच्चा साधु वही है जो सभी जीवों को मित्र की दृष्टि से देखता है
क्या करें इस महावीर जयंती पर?
- भगवान महावीर के सिद्धांतों को पढ़े और अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेन.
- अपने व्यवहार में सत्य, अहिंसा और करुणा को शामिल करें.
- किसी जरूरतमंद की मदद करें-यही सच्चा त्याग हैं.
- अगर संभव हो तो मौन व्रत या उपवास रखें और आत्मचिंतन करें.