ओरमांझी : शेख भिखारी 1857 की क्रांति के शहीद हैं. उनका पैतृक गांव खुदिया-लोटवा को 2012 में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो ने इसे आदर्श गांव बनाने की घोषणा की थी. शिलान्यास भी हो चुका था,लेकिन यह गांव खुद अपनी दुर्दशा पर आज आंसू बहा रहा है.
गांव में अभी भी समस्याओं का अंबार
शिलान्यास के शिलापट्ट भी अब धूमिल हो चुके हैं और गांव में अभी भी समस्याओं का अंबार है. शहीद के वंशज और ग्रामीण आज भी बुनियादी समस्याओं से जूझने को मजबूर हैं.
95 आबादी मजदूरी कर आजीविका चला रहे
गांव के प्रायः लोग खपरैल के मकान और झुग्गी-झोपड़ी में रहने को विवश हैं. यहां 95 आबादी मजदूरी कर अपनी आजीविका चलाते हैं. हालांकि,यहां पर करोड़ों रुपए की लागत से आदर्श ग्राम के नाम पर कुछ बड़े- बड़े सुविधाविहीन व उपयोग विहीन भवन बना दिए गए हैं,जो अब जर्जर होने की राह पर हैं या तो जर्जर हो चुके हैं.
नहीं पूरी हुई ग्रामीणों की आस
जब सुदेश महतो ने शहीद भिखारी के गांव को आदर्श गांव बनाने की घोषणा की थी तब ग्रामीणों में एक आस जगी थी कि अब गांव का विकास होगा व गांव में रोजगार का सृजन भी होगा.
अधिकतर योजनाएं शिलान्यास तक ही सिमट कर रह गयीं
वर्ष 2012 में कई विकास योजनाओं का शिलान्यास किया गया था, जिस में से अधिकतर योजनाएं शिलान्यास तक ही सिमट कर रह गयीं. आदर्श ग्राम के तहत बनाए जाने वाला करोड़ों रुपए की लागत से बने ग्राम संसद भवन, ग्राम सांस्कृतिक केंद्र भवन और पेयजल के लिए बने प्याऊ जर्जर हो चुके हैं. यहां तक कि प्याऊ के लिए स्टैंड तो बना पर उसमें नल नहीं लगाया गया. अब यह सब चीजें ग्रामीणों के लिए कोई काम के लायक नहीं रह गयीं.सिर्फ सरकारी खजाने से राशि की बंदर-बांटकर ली गई.
इन योजनाओं का हुआ था शिलान्यास
गांव को आदर्श ग्राम का रूप-रेखा देने के लिए सुदेश कुमार महतो ने ग्राम संसद भवन, सांस्कृतिक केंद्र भवन(अखड़ा) व बगल के गेतलसूद डैम से सिंचाई के लिए चेकडैम का शिलान्यास किया था.
चेकडैम निर्माण कार्य की दिशा में प्रगति नहीं
चेकडैम का निर्माण वन विभाग के माध्यम से कराया जाना था,पर आज तक निर्माण कार्य की दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई. सरकार और अधिकारियों की लापरवाही का ही नतीजा है कि आज तक सभी योजनाएं ठंडे बस्ते में पड़ी हुई हैं.
बैल व बकरी बांधने के लिए हो रहा भवन का उपयोग
शहीद के वंशजों और ग्रामीणों का कहना है सरकारी खजाने से करोड़ों खर्च कर ग्राम संसद भवन, ग्राम सांस्कृतिक केंद भवन और प्याऊ तो बना, लेकिन सभी हाथी के दांत साबित हो रहे हैं. ग्राम संसद भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. इसमें लगे शीशे टूट गए हैं. दरवाजे व खिड़कियों की लकड़ियां सड़ चुकी हैं. भवन का उपयोग अब बैल व बकरी बांधने के लिए किया जा रहा है.
क्या कहते हैं शेख भिखारी के वंशज
शहीद शेख भिखारी के वंशज शेख अनवर, शेख जलील, शेख असगर, शेख मुस्तकीम और शेख यासीन का कहना है कि गांव में मात्र भवन बना देने से ही आदर्श ग्राम की रचना नहीं हो सकती है. किसी भी गांव के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण है रोजगार का अवसर पैदा करना. इसके बिना किसी भी गांव का विकास मुमकिन ही नहीं है, इस पर सरकार को विचार करने की आवश्यकता है.