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हजारीबाग में बिजली विभाग की लापरवाही, 11 हजार वोल्ट तार से दो चार होकर गुजरती है बड़ी आबादी

हजारीबाग में बिजली विभाग की लापरवाही, 11 हजार वोल्ट तार से दो चार होकर गुजरती है बड़ी आबादी
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत 

हजारीबाग/डेस्क: हजारीबाग के केरेडारी प्रखंड क्षेत्र के पताल स्थित नागुडुवा गढ़ा से लेकर तेरी टांड़ तक भाया हेन्देगिर बड़की मेंडी से गुजर रही 11 हजार वोल्ट कि तार इस कदर झूला हुआ है कभी भी बड़ी घटना घट सकती है.11 बोल्ट का तार जमीन से महज 7 फीट की ऊंचाई पर से गुजर रहा है. झूले तार के रास्ते कोले मेंडी के सैकड़ों ग्रामीणो ने पैसेंजर ट्रेन पकड़ने के लिए कोले स्टेशन आते जाते हैं. अगर कोई भी व्यक्ति कोई सामान अपने माथे में लेकर सावधानी पूर्वक आवागमन नही करे तो कभी भी अनहोनी हो सकता है. इस बाबत स्थानीय ग्रामीणों ने कहा कि बिजली विभाग कि कर्मी अपने आंखों से भी देखकर भी अनदेखा कर रहे है. बिजली विभाग द्वारा सुधार के लिए कोई पहल नहीं किया जा रहा है. वहीं ग्रामीणों ने यह भी कहा कि सिर्फ बिजली विभाग बिल लेना जानती है.

 

लचर बिजली व्यवस्था को दुरुस्त करना नहीं. बीते दिनों पताल से सटे 18 जुलाई को करंट की जद में आने से 36 वर्षीय दसरथ महतो पिता स्व. कुंजल महतो की मौत हो गई थी. घटना से नाराज मृतक के परिजनों व ग्रामीणों ने इस हादसे के लिए विद्युत विभाग को जिम्मेदार ठहरा रहे थे. लचर बिजली व्यवस्था पर केरेडारी दक्षिणी जिप सदस्य अनीता सिंह ने कहा कि बरसात आते ही करंट से होने वाली दुर्घटनाएं बढ़ जाती हैं. 





 

इससे चाहे आदमी हो या जानवर, व्यक्तिगत संपत्ति अथवा सार्वजनिक सभी को नुकसान पहुंचता है. दुर्घटना होने पर बिजली विभाग में मुआवजे का प्रावधान है लेकिन इसकी टेढ़ी प्रक्रिया के कारण आम आदमी जानकारी के अभाव में इस बारे में सोच भी नहीं पाता. कुछ मामले ऐसे हैं जो विभाग तक नहीं पहुंच पाती हैं. बरसात से अर्थिग बहुत जल्दी पोल समेत अन्य स्थानों पर उतरता है. इससे कभी-कभी उन जगहों में करेंट फैल दौड़ जाता है जो सुरक्षित माने जाते हैं. उदाहरण के तौर पर विद्युत पोल का स्टड राड. इसमें करेंट नहीं आता लेकिन बरसात में यह भी कभी-कभी खतरनाक साबित हो जाता है. इसके अतिरिक्त बारिश की टपकती बूंदें भी कभी-कभी खतरनाक हो जाती हैं. इन सबके ऊपर विभागीय लापरवाही जगजाहिर है . ढीले तार, जंफर का ठीक से न जोड़ना, जर्जर पोल आदि दुर्घटना के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं. कई मामलों में आदमी स्वयं भी अपनी ही किसी गलती से करेंट की चपेट में आ जाता है.
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