गढ़ा में सड़क या सड़क में गढ़ा पता ही नही चलता, सिर पर कफ़न बांध कर आवागमन करने को विवश हैं ग्रामीण
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: एनटीपीसी की चट्टी बरियातु कोयला खनन परियोजना से विभिन्न स्थानों तक कोयले की ट्रांसपोर्टिंग पब्लिक सड़क से भारी वाहनों हाइवा के द्वारा धड़ल्ले से जारी हैं. यह वाहन चट्टी बरियातू एंव केरेडारी कोल माइंस से कोयला लेकर ग्रामीण सड़क जोरदाग लबनिया मोड़ होते हुए केरेडारी टंडवा मुख्य सड़क से विभिन्न स्थानों तक कोयला पहुंचाते हैं. एक ओर जहां पॉवर प्लांटो में कोयले की आपूर्ति हो रही हैं. पब्लिक सड़क से कोयले की ट्रांसपोर्टिंग होने से ग्रामीणों में दहशत व्याप्त हैं. इन्हें अब जान माल का डर सात रहा हैं.
जोरदाग से लबनिया मोड़ तक सड़क से आने जाने वाले व्यक्ति ट्रांसपोर्टिंग से उड़ते धूल के कारण अब परेशान हैं. वहीं नही उक्त सड़क से प्रत्येक दिन 50 से अधिक छात्र-छात्रएं पैदल शिक्षा के दीप जलाने केरेडारी हाई स्कूल जाते है, उन सभी को भी धूलकणों का काफी सामना करना पड़ रहा है और तो और छोटे वाहनों की भी परेशानी बढ़ गई है, सड़क में इतना गढा है कि छोटे वाहन कब कहां पलट जाए कहा नही जा सकता.
ग्रामीणों का कहना है कि कोयला ढुलाई के लिए कम्पनी को अपना अलग सड़क बनाना चाहिए था लेकिन दुर्भाग्य है की कम्पनी ग्रामीण जनता को भय दिखाकर बाजबरण ग्रामीण सड़क का उपयोग कोयले की ट्रांसपोर्टिंग के लिए कर रही हैं. चूँकि जोरदाग से लबनिया मोड़ सड़क पर आम जनता आवागमन करती है लेकिन कोयले की ट्रांसपोर्टिंग से यमराज रूपी हाइवा से लोग भयभीत हैं. राहगीरों में लगातार डर बना रहता है की पता नहीं कब जान चली जाए. लोग सर पर कफ़न बांध कर यात्रा करने को विवश हैं. बीते दिनों कई राहगीर इन हाइवा के चपेट में आकर घायल हो चुके हैं.
वहीं कृषक वर्ग के ग्रामीण कहते हैं की हमलोग खेती कर के जीविको पार्जन करते थे लेकिन ट्रांसपोर्टिंग से कोयले की उड़ती धूल के कारण अब खेती करना भी मुश्किल लग रहा हैं. ग्रामीणों का यह कहना है कि कम्पनी ने सिर्फ 15 दिनों के लिए इस सड़क से ट्रांसपोर्टिंग की बात की थी लेकिन दो साल बीतने को चला जिसके बावजूद भी अब तक वैकल्पिक सड़क की व्यवस्था नहीं कर पाई हैं.