अमित सिंह
न्यूज11 भारत
रांची : पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में एक और बड़ी लापरवाही सामने आई है, जिसकी वजह से 1500 घरों के जलापूर्ति बंद हो गई है. वहीं 3000 हजार घरों को वाटर कनेक्शन देने और जलापूर्ति की योजना अधर में लटक गई है. पेयजल एवं स्वच्छता तेनुघाट प्रमंडल के तहत चतरोचट्टी ग्रामीण जलापूर्ति योजना का काम हो रहा है. यह जलापूर्ति योजना 18 करोड़ रुपए लागत की है. इस योजना के तहत वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, दो ओवर हेड वाटर टावर सहित कई कार्य हुए है. योजना का ट्रायल रन चल रहा था, तभी कोनार नदी के नजदीक बना इंटेक वेल झूक(Tilt) गया. जिस वजह से योजना के तहत 1500 घरों को शुरू की गई जलापूर्ति को बंद करना पड़ा. पेयजल विभाग के जिम्मेवार इंजीनियर इंटेक वेल झूकने की घटना को आपदा का हवाला देते हुए काम करने वाली एजेंसी को बचाने में जुट गए है. जबकि पेयजल विभाग के सेवानिवृत इंजीनियर का कहना है कि इंटेक वेल का झूकना सामान्य घटना नहीं है. इसके निर्माण के पहले मिट्टी आदि की जांच, भूकंप आदि का अध्ययन तक होता है, तब डिजाइन तैयार होता है. ऐसे में स्थल चयन में भी कई बातों की अनदेखी हुई होगी. तभी इंटेक वेल का मजबूत कंस्ट्रक्शन झूक गया.
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग चतरोचट्टी जलापूर्ति योजना के इंटेक वेल झूकने (Tilt) की जांच करा रहा है. तीन सदस्यीय इंजीनियरों की जांच टीम बनी है. इस टीम में दुमका के क्षेत्रीय मुख्य अभियंता सदानंद मंडल, धनबाद के अधीक्षण अभियंता मो. रेयाज आलम और रुपांकण के कार्यपालक अभियंता रामाधीन प्रसाद है. टीम के सदस्यों ने अपनी पहली जांच रिपोर्ट मुख्यालय को सौंपा है. टीम ने 5 जनवरी 2022 को इंटेक वेल का स्थल निरीक्षण किया. जिसमें पाया कि इंटेक वेल झूका है. मगर इंटेक वेल क्यू झूका? इस सवाल का जवाब जांच टीम के सदस्यों को भी नहीं मिल पाया है. जांच टीम जब स्थल निरीक्षण कर रही थी, उस समय तेनुघाट प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता रामप्रवेश राम और संवेदक संजय कुमार शर्मा सहित प्रमंडल के अन्य इंजीनियर भी उपस्थित थे. निरीक्षण के दौरान किसी भी इंजीनियर को इंटेक वेल के झूकने की वजह निर्माण में गड़बड़ी, गलत स्थल चयन आदि जैसे कारण नहीं दिखा. इंजीनियरों ने एक स्वर में इंटेक वेल झूकने का सबसे बड़ा दोषी तेज बारिश ठहराया. वहीं प्राकृतिक आपदा को इसके लिए दोषी मान रहे हैं.
जांच टीम ने इंजीनियरिंग कॉलेज से जांच कराने को कहा
जांच टीम ने Structure के RCC Portion के Sample की जांच राज्य अंतर्गत अवस्थित अभियंत्रण महाविद्याल से कराई जाए, ताकि पता चल सके कि Ingredient का Ratio design के अनुरूप है या नहीं. इसके अतिरिक्त Structure के एक पार्ट को तोड़ कर यह पता करने का निर्णय लिया गया कि reinforcement का Make, diameter, spacing आदि desigh के अनुरूप है या नहीं.
इंटेक वेल में पानी जमने की वजह से अधूरी है जांच, 20 फीट भरा है पानी
पेयजल विभाग की जांच टीम ने अपनी एक रिपोर्ट पेयजल विभाग के सचिव प्रशांत कुमार, अभियंता प्रमुख श्वेताभ कुमार सहित अन्य को सौपा है. टीम ने बताया है कि इंटेक वेल निर्माण स्थल के नजदीक से देखने पर पाया गया कि इंटेक वेल Tilt हो गया है. पानी के ऊपर पंप हाउस(Pump House) का कुछ भाग दिखाई दे रहा था. शेष भाग जलमग्न पाया गया. जिस वजह से इंटेक वेल का नर्माण अनुमोदित डिजाइन एंड ड्राइंग द्वारा निर्धारित स्थान पर हुआ है अथवा नहीं, इसका आकलन करना वर्तमान में संभव प्रतीत नहीं हो रहा है. इंटेक वेल का झुकाव पानी के धारा के विपरित दिशा में हुआ है, इससे ऐसा प्रतीत होता है कि Intak Well Scouring के कारण Tilt हुआ है. इंटेक वेल में तकरीबन 20 फीट पानी जमा हुआ है, जिस वजह से कई विंदुओं पर जांच होना है.
कार्यपालक अभियंता ने संवेदक को दिया क्लीन चीट, आपदा को बताया कारण
तेनुघाट प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता रामप्रवेश राम से इस संबंध में न्यूज 11 भारत ने बातचीत की. रामप्रवेश राम ने बताया कि इंटेक वेल के निर्माण में कोई गड़बड़ी नहीं है. संवेदक द्वारा किए गए अन्य कार्य इसके उदाहरण है. इंटेक वेल झूक गया है, मगर उसके कंस्ट्रक्शन में कोई छेड़छाड़ नहीं हुआ है. दीवारों में दरार तक नहीं आया है. रामप्रवेश राम ने साफ शब्दों में संवेदक को क्लिन चीट देते हुए इंटेक वेल झूकने का सबसे बड़ा कारण पांच दिनों तक लगातार होने वाली बारिश को ठहरा रहे हैं. उनका कहना है कि तेज बारिश की वजह से इंटेक वेल के नीचे की जमीन में कटाव आ गया होगा, इसलिए इंटेक वेल झूक गया. इंटेक वेल कोनार नदी के कैचमेंट एरिया में है. इस इंटेक वेल से मोटर पंप के सहारे पानी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाया जाता था. पानी की सफाई प्रकिया के बाद जलापूर्ति होती थी. योजना का ट्रायल रन ही चल रहा था, तभी इंटेक वेल झूकने की घटना हो गई. जिसके बाद से जलापूर्ति बंद है. कार्यपालक अभियंता ने बताया कि संवेदक संजय कुमार शर्मा जलापूर्ति योजना का काम कर रहे है. घोर नक्सल क्षेत्र में काम हो रहा है. इसी संवेदक के द्वारा दो और जलापूर्ति योजना का काम किया जा रहा है. किसी में कोई परेशानी नहीं है. इंटेक वेल का झूकना महज संयोग है. झूके हुए इंटेक वेल से जलापूर्ति हो सकती है? दूसरा इंटेक वेल बनाना होगा? ऐसे सवालों का जवाब कार्यपालक अभियंता ने नहीं दिया.
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कार्य की गुणवक्ता : स्थल पर उपस्थित कार्यपालक अभियंता द्वारा बताया गया कि इंटेक वेल निर्माण सामग्रियों की गुणवक्ता वांछित Specification के अनुरूप कया गया हैं. उनके द्वारा यह भी बताया गया कि निर्माण सामग्रियों की गुणवक्ता की जांच एवं Concret mix का Design कराया गया है. निर्माण के दौरान Cube Test भी कराया गया है.
कार्य का प्रर्यवेक्षण नहीं होने के कारण : निर्माण कार्य के दौरान कार्य का पर्यवेक्षण संबंधित फोटोग्राफ कार्यपालक अभियंता द्वारा उपलब्ध कराया गया है. लेकिन इंटेक वेल निर्माण के विभिन्न चरणों का फोटोग्राफ उपलब्ध नहीं होने के कारण यह पता नहीं चल सका कि इंटेक वेल के नींव को Scouring depth के नीचे तक खुदाई की गई या नहीं.
प्राकृतिक आपदा के कारण : इंटेक वेल के design के सभी सभी प्रकार के फैक्टर्स का ध्यान रखा जाता है, जिससे तेज हवा एवं पानी की गति के अलावे भूकंप आदि का प्रभाव भी सम्मित रहता है. इस इंटेक वेल का निर्माण कोनार डैम के UP stream side में किया गया है. दिनांक 30-31 जुलाई 2022 को अत्यधिक वर्षा होने के कारण डैम के UP stream side में जल स्तर अचानक बढ़ जाने तथा डैम के सभी नौ गेट खोल देने के कारण इंटेक वेल के पास पानी की गति सामान्य से अधिक होने से इंकार नहीं किया जा सकता है.