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रांची/डेस्क: अमेठी के रमेशर कोरी को बचपन से ही हवाई जहाज में उड़ने का शौक था पर गरीबी की कारण उनका यह सपना पूरा न हो सका पर कहते है न जहां चाह है वहाँ राह है, अपने सपने को पूरा करने के लिए रमेशर ने अपने घर पर ही दो हवाई जहाज बना डाले. दुर्भाग्य के बात ये है कि जहाज के बनते ही उनका देहांत हो गया. आज उनके बच्चे इस जहाज का आनंद उठा रहे है .
रमेशर के परिजनों का कहना है कि जब वह काफी कोशिशों के बाद भी हवाई यात्रा नहीं कर पाए तब उन्होंने घर पर ही जहाज बनाने का फैसला लिया था जिसमें वो सारी सुविधाएं उपलब्द रहेंगी जो एक हवाई जहाज में होती है. इसके बाद रमेशर ने सरिया , बालू और सीमेंट की मदद से दो जहाज बना डाला.
रमेशर कोरी के पुत्र सनोज कुमार का कहना है की एक जहाज बनकर तैयार हो चुका था पर जब तक दूसरा पूरी तरह तैयार होता तब तक उनके पिता जी का बीमारी के कारण देहांत हो चुका था. आज यह जहाज न केवल उनके पिता जी की यादें है बल्कि यह जहाज उनके पूरे गाँव की पहचान बन गई है.