प्रशांत शर्मा/न्यूज11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: सेवा अधिकार अधिनियम 2011 तात्कालिक मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के द्वारा झारखंड में लागू किया गया था जिसमें लगभग 120 सेवाएं सेवा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत थे इसका एक सुखद अनुभव ममता कुमारी पति अरविंद जुलाई 2024 को सफलतापूर्वक निबंधन कराया था, जिसमें नामांतरण (म्यूटेशन) हेतु संबंधित अंचल कार्यालय को प्रेषित किया गया था, जिसका म्यूटेशन केस नंबर 2283/2024-25 हजारीबाग सदर अंचल अधिकारी को अग्रसारित किया गया. झारभूमि के माध्यम से, किंतु 12 अगस्त को आवेदक अपने अधिवक्ता राणा राहुल प्रताप से संपर्क किया कि मैं एक जमीन फोर लेन पर खरीदा है जिसका म्यूटेशन कराना है और उससे संबंधित कागजात मांगने पर निबंधन कार्यालय से एक मैसेज आया था उसे दिया इसे देखते ही अधिवक्ता प्रताप ने बताया कि आपका म्यूटेशन कार्य अर्थात आवेदन हो चुका है आपका केस नंबर के आधार पर वर्तमान स्थिति देखने पर पाया कि यथावत पेंडिंग बना हुआ है.
थक हार कर दिनांक 30.8.24 को अधिवक्ता राणा राहुल प्रताप के मार्गदर्शन और सुझाव से सेवा अधिकार के तहत आवेदन दिया, फिर काफी दिन की बाद एक अंचल कार्यालय को कार्यालय से अपने आप को कर्मचारी बाता कर पीडीएफ मांगा कि आपका जमीन पीडीएफ फाइल भेजें क्योंकि खुल नहीं रहा है, फिर भी कुछ नहीं होता देख 4 अक्टूबर 2024 प्रथम अपील भूमि सुधार उप समाहर्ता सह प्रथम अपीलीय पदाधिकारी, हजारीबाग के पास निबंधत डाक से अपील किया जो सेवा 18 दिनों में मिलना चाहिए था, 77 दिन कार्य दिवस पर भी नहीं होने प्रतिदिन ढाई सौ रुपए के दर से दंड शुल्क के साथ दिया जाए, इस अपील आवेदन जाते ही 15.10.24 को म्यूटेशन कार्य संपन्न किया गया.
अब देखना दिलचस्प होगा कि 77 प्रतिदिन के हिसाब से या फिर अधिकतम अर्थ दंड शुल्क 5000 का गाज किस कर्मचारी पर गिरता है या लगता है म्यूटेशन कैसे निष्पादन होने पर आवेदक काफी खुश है कि अंचल कार्यालय के बिना चक्कर काटे तथा बिना व्यवहारिक शुल्क के कार्य संपन्न हुआ जो एक प्रेरणा स्रोत है. अधिवक्ता का कहना है कि सेवा अधिकार अधिनियम का सही ढंग से सकारात्मक उपयोग किया जाए तो जमीन संबंधित समेत कई मामले जो इसके क्षेत्राधिकार में है आसानी से हल हो सकता है तथा कानून के प्रति आमजन में विश्वास पैदा हो सकेगा.