न्यूज11 भारत
रांची: शाहरुख खान की फिल्म पठान शुरुआत से ही विवादों से घिर गयी थी. सोशल मीडीया में इसके बहिष्कार की जहां चर्चा हो रही थी वहीं फिल्मी ज्योतिषों का कहना है कि लंबे समय बाद बॉलिवुड की ये मूवी अच्छी कमाई दे सकती.
फिल्म को लेकर मचे विवाद और बवाल के बीच भी ट्रेड एनालिस्ट ये मान रहे हैं कि पठान फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कई नए रिकॉर्ड बना सकती है. एक ओर जहां अच्छी कमाई की उम्मीद वितरकों को भी है, लेकिन वहीं अब फिल्म की कमाई को लेकर भी विवाद छिड़ गया है.
सोशल मीडिया यूजर पठान की कमाई को लेकर लगातार कमेंट कर रहे हैं, ऐसा दावा किया जा रहा है कि पठान फिल्म के पहले दिन की कमाई पाकिस्तान की NGO को दे दी जाएगी, ताकि वहां के हालात सुधर सकें.
इस बात को लेकर साध्वी प्रज्ञा ने भी ट्वीट किया है साध्वी ने कहा है कि ध्यान रहें सनातनियों अगर पठान हिट हुई तो पाकिस्तान को आटा मिल जाएगा. असल में ये विवाद एक फर्जी ट्वीट से शुरु हुआ.
दरअसल एक फर्जी अकाउंट से एक इमेज ट्वीट की गई, इसे बीबीसी का ट्वीट बताया गया. इसमें लिखा था- ‘शाहरुख का बड़ा बयान, पाकिस्तान मेरा दूसरा घर, पठान की पहले दिन की कमाई को पाकिस्तान की एनजीओ को किया जाएगा डोनेट’. इस इमेज में दीपिका पादुकोण और जॉन अब्राहम का भी जिक्र किया गया है. हालांकि बाद में सामने आया कि बीबीसी ने इस तरह का कोई ट्वीट किया ही नहीं. हालांकि इससे पहले ट्विटर पर ये इमेज बॉयकॉट पठान ट्रेंड के साथ वायरल हो चुकी थी.
जानिए कैसे होती है फिल्मों की कमाई
दरअसल फिल्म की कमाई अलग-अलग हिस्सों में होती है और इसमें निर्माता से लेकर राज्य सरकार और संबंधित सिनेमा हॉल संचालक तक सभी का अलग-अलग शेयर होता है. आइए जानते हैं कि फिल्म की कमाई का हिस्सा कैसे बांटा जाता है.
फिल्म की कमाई कहां जाती है, इससे पहले हमें ये जानना होगा की फिल्म की कमाई कैसे होती है. फिल्म दो तरीकों से कमाती है, पहली थिएटर से, जिसे बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कहते हैं. ये वो आय होती है जो दर्शकों के टिकट खरीदने से मिलती है, इसमें से जब सरकार का टैक्स हटा दिया जाता है तो वह किसी भी फिल्म की शुद्ध यानी की नेट इनकम होती है.
इसके अलावा दूसरा तरीका होता है, फिल्म के सेटेलाइट और ओटीटी राइट्स बेचकर (टीवी और नेटफ्लिक्स-अमेजन या अन्य किसी माध्यम पर दिखाने का अधिकार), फिल्म के म्यूजिक राइट्स भी अलग बिकते हैं. यही नहीं किसी भी फिल्म की कमाई का पहला हिस्सा सरकार को मिलता है, यह टिकटों से होने वाली आय पर तकरीबन 30% तक होता है, किसी भी राज्य के हिसाब से यह दर अलग हो सकती है.
यदि सरकार फिल्म को टैक्स फ्री घोषित कर देती है तो यही 30% राशि माफ कर दी जाती है. यदि ऐसा होता है तो फिर सरकार को फिल्म से कोई कमाई नहीं होती. सिनेमाहॉल संचालक को कोई भी फिल्म दिखाने का अधिकार डिस्ट्रीब्यूटर देता है. इसके बदले में वह सिनेमा हॉल संचालक से पहले ही तय कर लेता है कि उसे टिकट बिक्री में से कितने प्रतिशत आय चाहिए.
कई बार ये शुरुआती सप्ताह के लिए अलग और बाद के लिए अलग हो सकता है. मनोरंजन कर काटने के बाद जो आय बचती है, उसका एक निश्चित हिस्सा डिस्ट्रीब्यूटर को लौटा दिया जाता है. इसे लौटाने के बाद जो आय बचती है वह सिनेमा हॉल संचालकों की होती है. निर्माता को इनकम कैसे होगी, ये अलग-अलग फिल्म के आधार पर तय होता है.
दरअसल कुछ निर्माता फिल्म को बनाने के बाद एक निश्चित मुनाफा लेकर अपनी फिल्म के सारे अधिकार डिस्ट्रीब्यूटर को दे देते हैं. इससे इतर कुछ निर्माता डिस्ट्रीब्यूटर को अधिकार तो देते हैं, लेकिन मुनाफे के एक हिस्से के बदले. सिनेमाहॉल संचालकों से मिल रही रकम को डिस्ट्रीब्यूटर अपना हिस्सा काटकर निर्माता तक पहुंचा देते हैं.
यदि निर्माता कई हैं तो ये रकम आपस में बांट ली जाती है. यही प्रक्रिया फिल्म के सेटेलाइट और ओटीटी राइट्स को लेकर भी है. हालांकि इसमें पहले से ही तय होता है कि फिल्म को कितनी राशि में कितने समय के लिए दिखाने का अधिकार बेचा जा रहा है.
बड़े बजट की फिल्मों में नामी अभिनेता सिर्फ फीस नहीं लेते, बल्कि फिल्म से होने वाले फायदे का भी उन्हें एक हिस्सा दिया जाता है. हालांकि ये कांट्रेक्ट के समय ही तय हो जाता है कि किसी भी अभिनेता को फिल्म की कमाई का कितना हिस्सा दिया जाएगा.