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रांची/डेस्क: भारत का खानपान किसी भी तुलना से परे है, और अब यह बात स्विट्जरलैंड के वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) की हालिया 'लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट' में भी सामने आई है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत का भोजन न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी अत्यंत फायदेमंद है.
लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट में क्या है खास?
WWF की रिपोर्ट में भारत के खानपान के तरीकों की प्रशंसा की गई है. इसमें कहा गया है कि G20 देशों में भारत का खानपान सबसे उत्कृष्ट है. यदि सभी देश 2050 तक भारतीय खानपान के तरीके को अपनाएं, तो पर्यावरण को होने वाला नुकसान काफी हद तक कम किया जा सकता है. वहीं, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के खानपान को सबसे खराब बताया गया है.
खानपान और पर्यावरण का रिश्ता
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि यदि दुनिया के सभी लोग बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के खानपान को अपनाते हैं, तो ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन 1.5 डिग्री सेल्सियस से 263% अधिक बढ़ जाएगा. इस स्थिति में हमारी जरूरतें पूरी करने के लिए हमें 7 धरती की आवश्यकता होगी.
भारत का मिलेट मिशन
भारत के 'मिलेट मिशन' की भी रिपोर्ट में सराहना की गई है. इसमें बताया गया है कि अगर सभी देश भारत की तरह खानपान अपनाएं, तो केवल 0.84 धरती की जरूरत होगी. यहां के खानपान से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम होता है.
अन्य देशों की स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार, अर्जेंटीना के खानपान को अपनाने के लिए 7.4 धरती, ऑस्ट्रेलिया के लिए 6.8 धरती, और अमेरिका के लिए 5.5 धरती की जरूरत पड़ेगी. जबकि भारत का खानपान अपनाने से केवल 0.84 पृथ्वी की आवश्यकता होगी.
खानपान का सही तरीका
रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि सही खानपान से हमें अधिक भूमि की जरूरत नहीं पड़ेगी, और इसका इस्तेमाल अन्य कार्यों के लिए किया जा सकेगा. इसमें दालें, पौष्टिक अनाज, और पौधों पर आधारित प्रोटीन के विकल्पों पर जोर दिया गया है. इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि भारत का खानपान न केवल स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण की सुरक्षा में भी मददगार साबित हो सकता है.