न्यूज़ 11भारत
रांची /डेस्क: टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस ने 20000 करोड़ का लोन चूका दिया है. जिसके बाद कंपनी ने रजिस्ट्रेशन ऑफ सर्टिफिकेट, भारतीय रिज़र्व बैंक को सरेंडर करने का अनुरोध किया है. वही अब कंपनी को लिस्ट होने की जरुरत नहीं है. आपको बता दे की अगर कंपनी यह लोन नहीं चुकाती तो भारतीय रिज़र्व बैंक के नियमों के अनुसार कंपनी को लिस्ट होना पड़ता.
हालांकि, देश का सबसे बड़ा औद्योगिक घराना टाटा संस ने 20 हज़ार से अधिक की राशि का भुगतान किया. साथ ही कंपनी की सालाना फाइलिंग के अनुसार इसमें 353 करोड़ की राशि के गैर -परिवर्तनीय डिबेंचरऔर प्रेफेरेंशियल शामिल नहीं है.
यह भी पढ़े :Today Janmashtami Puja Time: श्री कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त, जानें सही समय
क्या है टाटा संस का कहना
टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस का कहना है कि उसने अपने पंजीकरण प्रमाणपत्र को सरेंडर करने के साथ ही आरबीआई को एक अंडरटेकिंग भी दि है. टाटा संस कोर इनवेस्टमेंट कंपनी के रूप में ग्रुप की कंपनियों में निवेश करने के लिए बैंकों और बाजारों से पैसा उधार लेती है और आरबीआई ने सितंबर 2022 में टाटा संस को NBFC-अपर लेयर के रूप में क्लासीफाई किया था. वही आरबीआई के नियमों के तहत NBFC-UL को इस तरह के क्लासिफिकेशन के तीन साल के भीतर लिस्ट होना चाहिए. लेकिन ऋण के भुगतान के बाद प्रमोटर रिस्क प्रोफाइल में भारी कमी आ गई, जिस कारण टाटा संस को लिस्टिंग की आवश्यकता नहीं है.