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रांची/डेस्क: जिस टीम ने 13 फर्जी अबुआ आवास में गड़बड़झाले को उजागर किया, बीडीओ ने उसी टीम के 8 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज करवा दी. इसमें 7 महिलायें शामिल हैं. मामला लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड का है, जहां एक साथ 13 अयोग्य और संपन्न लोगों को अबुआ आवास देने का मामला उजागर हुआ है. आज पुलिस और प्रशासन गड़बड़ी उजागर करने वाले 8 ग्रामीणों को परेशान कर रहे हैं. फर्जीवाड़ा उजागर करने वाले कुछ लोग नरेगा वाच के सदस्य भी हैं. मामले में नरेगा वाच और भोजन का अधिकार अभियान के लिए काम करने वाले ज्यां द्रेज, सिराज दत्ता, जेम्स हेरेंज, अपूर्वा गुप्ता और आशर्फी नंद प्रसाद ने डीसी और एसपी को पत्र लिख न्याय करने की गुहार लगाई है.
नहीं रुक रही अबुआ आवास में गड़बड़ी
अबुआ आवास में गड़बड़झाला रूकने का नाम नहीं ले रहा है. एक बार फिर बड़े स्तर पर ये माला उजागर हुआ. एक नहीं बल्कि 13 अयोग्य और संपन्न लोगों को अबुआ आवास आवंटित हुए. नरेगा वाच और ग्रामीणों की 8 सदस्यीय टीम ने घर-घर जाकर इस गड़बड़ी को पकड़ा. फर्जीवाड़े के पक्का सबूत इकट्ठा किये गये हैं. अक्षांश और देशांतर के साथ संबंधित लोगों के घरों के पुराने घर और नये घरों की तस्वीरें खिचीं गई.
बीडीओ ने सर्वेक्षण टीम के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया
29 मई को ग्राम प्रधान और अन्य सदस्यों ने रिपोर्ट के आधार पर महुआडांड के बीडीओ से फर्जी लोगों का आवंटित आवास रद्द करने, प्रशासनिक जांच करने और दोषियों पर कार्रवाई करने का आग्रह किया. लेकिन इसका परिणाम उल्टा हुआ. धोखाधड़ी की जांच करने के बजाय बीडीओ ने उल्टे सर्वेक्षण टीम के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया. बीडीओ की ओर से संबंधित थाने में 4 जून को एक प्राथमिकी दर्ज करवा दी गई. प्राथमिकी में बताया गया कि सत्यापन फर्जी है. दर्ज प्राथमिकी में सत्यापन को लोगों को गुमराह करने वाला और प्रखंड की छवि खराब करने वाला बताया गया है. इस आधार पर पुलिस ने धारा 419 और 420 के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली है. अब प्रशासन और पुलिस की टीम सर्वेक्षण टीम के सदस्यों को लगातार परेशान कर रही है.
फर्जी प्राथमिकी को अविलंभ रद्द करने की मांग
नरेगा वाच और भोजन का अधिकार अभियान से जुड़े ज्यां द्रेज, सिराज दत्ता, जेम्स हेरेंज, अपूर्वा गुप्ता और आशर्फी नंद प्रसाद ने डीसी और एसपी को इस संबंध में 5 जुलाई को पत्र लिख कर कहा है कि सभी सदस्य और ग्राम प्रधान हमारे परिचित हैं. साथ ही रिपोर्ट को वास्तविक बताते हुए फर्जी प्राथमिकी को अविलंभ रद्द करने की मांग की है.