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रांची/डेस्क: झारखंड विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो गया है. आज बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल का अभिभाषण के साथ शुरू हुई. राज्यपाल ने झारखंड विधानसभा के इस साल के पहले सत्र में स्वागत करते हुए अपने अभिभाषण में सदन के सभी सदस्यों झारखंड के विकास में सकरात्मक भूमिका निभाने की अपील की. और कहा कि अपार जनादेश साबित करता है कि हमारी सरकार जनता के दिलों में बसती है.
उन्होनें अपने अभिभाषण में कहा कि अबुआ आवास, मंईयां सम्मान योजना से राज्य में बदलाव देखने को मिला है. सुशासन हमारे लिए सिर्फ शब्द नहीं है. हमने इसे अच्छे लागू किया है. हमारी सरकार राज्य को भ्रष्टाचार से मुक्त करेगी. कानून का राज सरकार की प्राथमिकता है. आगे कहा कि राज्य सरकार लगातार साइबर अपराध पर लगाम लगा रही है. सरकार ने बाल श्रम के प्रति सख्त रुख अपनाया है. सरकार औद्योगिक विकास के लिए प्रयत्नशील है.
राज्यपाल के अभिभाषण के बीच में भाजपा सदस्यों की टोकाटोकी भी की. वहीं, सत्तापक्ष मेज थपथपा कर राज्यपाल के अभिभाषण का स्वागत किया. सदन की कार्यवाही मंगलवार के 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया हैं.
बजट सत्र में होंगे कुल 20 कार्यदिवस
बजट सत्र 24 फरवरी से शुरू हो रहा है. और 27 मार्च तक चलेगा. कुल 20 कार्यदिवस होंगे. पहला दिन राज्यपाल का अभिभाषण और नए सदस्यों का शपथ ग्रहण होगा. इसके बाद 25 से 27 फरवरी तक राज्यपाल के अभिभषण पर वाद-विवाद होगा. इसके बाद 28 फरवरी को सरकार तीसरा अनुपूरक बजट पेश करेगी.
3 मार्च को पेश होगा बजट
3 मार्च को वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर वित्तीय वर्ष 2025 -26 के लिए बजट पेश करेंगे. और इसके बाद बजट अभिभाषण होगा. सभा की कार्यवाही अगले दिन तक के लिए स्थगित कर दी जाएगी. 4 और 5 मार्च को बजट के आय- व्यय पर वाद-विवाद होगा और सरकार अपना उत्तर देगी.
वहीं, 8, 9, 16, 22 और 23 मार्च को अवकाश रहेगा. 25 और 26 मार्च को आवश्यक राजकीय विधेयक प्रस्तुत किए जाएंगे और अन्य सरकारी कार्य निपटाएं जाएंगे. 27 मार्च को गैर- सरकारी अपना उत्तर देगी.
अब तक तय नहीं हुआ नेता प्रतिपक्ष
बजट सत्र से पहले अब तक नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं हो सका हैं. जिसके लिए भाजपा ने विधानसभा स्पीकर रवींद्र नाथ महतो द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक से दूरी बना ली थी. एनडीए के सहयोगी दल आजसू ने भी बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया था. स्पीकर ने भी स्वीकार किया कि नेता प्रतिपक्ष के बिना सदन का संचालन मुश्किल हो सकता है. सर्वदलीय बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि बजट पर एक दिन की बजाय दो दिन तक चर्चा होगी. वहीं, अनुदान मांगों पर बहस का समय 11 दिनों से घटाकर 10 दिन कर दिया गया है.