कोयला ढुलाई के लिए पूरे मंडल में हजारीबाग स्टेशन को मिल चुका है ओवरऑल चौंपियन का खिताब
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: टाउन रेलवे स्टेशन आने वाले यात्रियों को इन दिनों अंधेरे में ही ट्रेन पकड़ने की मजबूरी हैं. दरअसल रोशनी की समुचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से यात्रियों को इस परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं. कई दिनों से यहां के यात्रियों को अंधेरे में ट्रेन में चढ़ना और उतरना पड़ रहा हैं. साथ ही वेटिंग हॉल और प्लेटफार्म में भी अंधेरे में लोगो को ट्रेन का इंतजार किया जाता हैं. हजारीबाग टाउन स्टेशन की कमाई हजारीबाग झारखंड के बड़े शहरों में से एक बड़ा शैक्षणिक और प्रशासनिक केंद्र हैं.
बता दे कि एनटीपीसी के 22 में से 18 बिजली संयंत्र को कोयला हजारीबाग टाउन स्टेशन से भेजा जाता हैं. प्रत्येक दिन 8 करोड रुपए से अधिक की आमदनी रेलवे को कोयले की ढुलाई से होती हैं. वहीं महीने की बात करें तो 240 करोड रुपए से ऊपर की आमदनी सिर्फ हजारीबाग टाउन स्टेशन से हो रही हैं. हजारीबाग टाउन स्टेशन को कोयले की ढुलाई के लिए पूरे मंडल में ओवरआल चौंपियन का खिताब मिल चुका हैं. हजारीबाग टाउन स्टेशन होकर रूट इंटरसिटी ट्रेन जो पहले सप्ताह में 7 दिन चलती थी. जब से इसका विस्तार आसनसोल तक कर दिया गया हैं. सप्ताह में 5 दिन ही चल रही है जबकि इस ट्रेन में यात्रियों की कोई कमी नहीं हैं. हजारीबाग टाउन होकर एक बंदे भारत भी चलती है जो बिहार के राजधानी पटना से झारखंड की राजधानी रांची को जोड़ती हैं. विगत कुछ दिनों पहले हजारीबाग टाउन स्टेशन में ही कोच मेंटेनेंस डिपो का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिये किया गया.
बताते चलें कि यहां सीमा सुरक्षा बल, झारखंड पुलिस अकादमी, विनोबा भावे विश्वविद्यालय, प्रतिष्ठित संत कोलंबस महाविद्यालय और मंडलीय कार्यालय अवस्थित हैं. केंद्र सरकार के कई बड़े कार्यालय भी यहां है लेकिन रेल नेटवर्क के मामले में शहर बहुत कमजोर और पिछड़ा हैं. हजारीबाग जिले की आबादी करीब 20 लाख है और यहां कई बड़े और महत्वपूर्ण संस्थान हैं. प्रति माह 240 करोड़ की आमदनी यहां का स्टेशन दे रहा है लेकिन सुविधाओं को लेकर अधिकारी उदासीनता बरत रहे हैं.