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रांची/डेस्क: आज ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव का शहादत दिवस है. आज ही के दिन रांची के जिला स्कूल के निकट उनको अंग्रेजों ने फांसी पर चढ़ा दिया था. 1857 का विद्रोह ठाकुर विश्वानाथ साहदेव से ही प्रेरित था. उन्होंने 1855 में ही अंग्रेजों के खिलाफ छोटा नागपुर क्षेत्र में युद्ध छेड दिया था. उन्होंने अंग्रेजों को यहां से खदेड़ दिया और 6 महीने तक छोटा नागपुर क्षेत्र अंग्रेजों से अज़ाद रहा. सन 1858 में ठाकुर विश्वानाथ साहदेव चतरा तालब के पास अंग्रेजों से युद्ध लड़ रहे थे तभी छल से अंग्रेजों ने उनको पकड़ लिया. इतिहासकरों का मनाना है की अगर ठाकुर विश्वानाथ साहदेव का विद्रोह सफल हो जाता तो भारत 100 बरस पहले ही अज़ाद हो जाता.
ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव एक प्रमुख आदिवासी नेता और स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने 1857 के सिपाही विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वह झारखंड के एक प्रमुख व्यक्ति थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी और आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम किया.
ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें:
- जन्म और पृष्ठभूमि: ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव का जन्म झारखंड के नागवंशी परिवार में हुआ था.
- स्वतंत्रता संग्राम में योगदान: उन्होंने 1857 के सिपाही विद्रोह में सक्रिय रूप से भाग लिया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी.
- आदिवासी अधिकारों की रक्षा: ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम किया और उनके हितों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी.
ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव की विरासत:
- झारखंड के इतिहास में महत्व: ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव झारखंड के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं जिन्होंने आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम किया.
- स्वतंत्रता सेनानी के रूप में सम्मान: उन्हें एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में सम्मानित किया जाता है जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी.