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रांची: एचईसी आवासीय परिसर स्थित वार्ड संख्या 39 में पुन. वेद प्रकाश सिंह पार्षद के रूप में बहाल होंगे. बता दें, झारखंड हाईकोर्ट ने वेद प्रकाश सिंह को बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने दाखिल रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए नगर विकास विभाग के निलंबन आदेश को खारिज कर दिया है. न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत ने कहा पार्षद को निलंबन या पदमुक्त करने का अधिकार नगर विकास को नहीं है. यह कार्रवाई निवार्चन आयोग के दायरे में आता है. राज्य सरकार को निलंबन से पहले आयोग से राय मशवरा करने के बाद निर्णय लेना चाहिए था.
नगर विकास विभाग ने जारी किया था अधिसूचना
रांची नगर निगम क्षेत्र के वार्ड-39 के पार्षद वेद प्रकाश सिंह को 17 दिसंबर 2021 को पद मुक्त कर दिया गया था. इस संबंध में राज्यपाल के आदेश के बाद नगर विकास सचिव विनय चौबे ने अधिसूचना जारी की थी. वेद प्रकाश पर नामांकन में तथ्य छुपाने का आरोप था. अभिषेक कुमार ने पार्षद वेद प्रकाश पर नामांकन में तथ्य छुपाने का आरोप लगाते हुए 11.09.2020 को राज्य निर्वाचन आयोग शिकायत दर्ज कराई थी. जिसमें उनके द्वारा कहा गया कि वर्ष 2018 के निर्वाचन के समय गलत शपथ पत्र के आधार पर वेद प्रकाश सिंह रांची नगर निगम में वार्ड पार्षद के पद पर निर्वाचित हुए. साथ ही, पार्षद ने कोर्ट में लंबित चल-अचल सम्पत्ति, अपराधिक वाद आदि के संबंध में गलत शपथ पत्र दिया था. शिकायत की जांच विभाग स्तर से गठित जांच समिति द्वारा की गई.
वेद प्रकाश ने नॉमिनेशन में छुपाए थे कई मामले
शिकायतकर्ता के अनुसार वेद प्रकाश ने नॉमिनेशन के दौरान अपने ऊपर चल रहे आपराधिक मामलों को छुपाया था. जांच में पाया गया कि रांची के धुर्वा थाना कांड संख्या-207/2014, GR केस नं०-5577/2014 में इनके विरूद्ध 17.01.2015 को भा०द०वि० की धारा-341, 323, 504/34 में संज्ञान लिया गया था. 09.12.2016 को जमानत पर उन्हें रिहा किया गया था. 3.04.2017 को उनके विरूद्ध भा०द०वि० की उपर्युक्त धाराओं में आरोप पत्र गठित किया गया. जबकि 09.03.2018 को जब इनके द्वारा निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष शपथ पत्र दिया गया, उस समय वेद प्रकाश के विरूद्ध आरोप गठित था. लंबित अपराधिक केस के बाद भी उनके द्वारा गलत शपथ पत्र दिया गया. इतना ही नहीं वेद प्रकाश अपनी चल अचल संपत्ति समेत और सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों और सरकारी देनदारियों/ बकाया के संबंध में भी गलत शपथ पत्र दिया था.