प्रशांत शर्मा/न्यूज11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: हजारीबाग झील सहित अन्य जलस्रोत और तालाबों में जलकुभियां अट्टहास कर रही हैं. जलकुभियों का साम्राज्य पुनः स्थापित हो गया है. दूसरी तरफ जलकुंभियों की सफाई करने के लिए नगर निगम में ढ़ाई करोड़ की लागत से मंगाई गई बीड हार्वेस्टिंग मशीन पहले ही हांफ कर बैठ गया. ऐसे में खुद झील में जलकुभियों के बीच घिरा वीड हार्वेस्टिंग मशीन लाचार और बेबस नजर आ रहा है. इधर दुर्गा पूजा संपन्न होने के साथ हिन्दुओं की आस्था के महान पर्व छठ के आगमन की आहट पड़ चुकी है. झील सहित नगर निगम क्षेत्र में विभिन्न जलस्रोतों और घाटों की साफ-सफाई का कार्य शुरू किया जाना है. शहर में छट पर्व के लिए सबसे महत्वपूर्ण घाट के रूप में झील का नाम है.
इसी झील में जलकुभियों की सफाई के नाम पर बीड हार्वेस्टिंग मशीन का सौदा हजारीबाग नगर निगम के पूर्व नगर आयुक्त के कार्यकाल में हुआ था. जलकुंभी हटाने के लिए वीड हार्वेस्टिंग मशीन पर ढाई करोड़ जैसे भारी भरकम राशि खर्च करने के औचित्य पर उस समय भी असहमति के स्वर उठे थे, जो नगर निगम के सर्वोच्च पद के दंभ में लेकर सवाल कई थे, जिसमें महंगा दब गए और ढाई करोड़ की मशीन का जलावतरण कर दिया गया. 2022 में मशीन का क्रय हुआ. 2023 बीता और 2024 में ढ़ाई करोड़ की मशीन का भट्टा बैठ गया. इस दौरान इसके ईंधन पर 40-50 लाख रुपए निगम के खर्च हो गए.
अर्थात जल कुंभी के एक सीजन की सफाई पर लगभग तीन करोड़ रुपए खर्च कर दिए. जबकि मैनुअली जलकुभियों की सफाई पर एक सीजन में ढ़ाई से तीन लाख रुपए पर्याप्त थे. इस मशीन के क्रय को और खर्चीला होने के अतिरिक्त एक तालाब से दूसरे तालाब में उतारने का सवाल भी था. मगर सब को दरकिनार करते हुए सौदा फाइनल कर दिया गया. इसके पीछे भारी कमीशन के खेल की भूमिका प्रमुख बताई जा रही है. वीड हार्वेस्टिंग मशीन की तरह ही हजारीबाग नगर निगम में कई अन्य भारी और महंगी मशीन और वाहन उसी पंक्ति में हैं, जो कीमत के परिप्रेक्ष्य में अपनी उपयोगिता सिद्ध किए बगैर कबाड़ की श्रेणी में आकर खड़े हो गए हैं.