सुमित कुमार पाठक/न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: रांची में सरहुल शोभायात्रा को लेकर सिरमटोली केंद्रीय सरना स्थल और हातमा सरना स्थल के बीच विशेष संबंध और खास महत्व है. चैत्य माह के तृतीय शुक्ल पक्ष को प्रकृति का पर्व सरहुल बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन तमाम गांव, मोहल्ला और टोलों से सरहुल शोभायात्रा जुलूस निकाली जाती है. लेकिन क्या आप जानते है कि रांची में सरहुल शोभायात्रा जुलूस की शुरुआत कब हुई है. हातमा सरना टोली के सरना स्थल और मुख्य सिरमटोली सरना स्थल का संबंध और महत्व क्या है? आइये आपको इस बारे में पूरी जानकारी देते है.
क्या है दोनों सरना स्थल का कनेक्शन?
बता दें कि रांची में सिरमटोली सरना स्थल और हातमा मौजा के सरना टोली सरना स्थल के बीच विशेष संबंध और महत्व है. दरअसल हातमा सरना स्थल सरहुल शोभायात्रा जुलूस का उद्गम स्थल है. वहीं सिरमटोली सरना स्थल इसका समागम स्थल है. रांची में 1960 के दशक में सरहुल शोभायात्रा जुलूस की शुरुआत हुई थी. आदिवासी नेता कार्तिक उरांव ने इसकी शुरुआत 1967 में की थी. कार्तिक उरांव ने कुछ गांव के ग्रामीणों के साथ पहली बार हातमा सरना स्थल से जुलूस निकाला था. वहीँ उस जुलूस का समागम सिरमटोली के मुख्य सरना स्थल में हुआ था. इस जुलूस का मूल्य उद्देश्य आदिवासी संस्कृति का प्रदर्शन करना और इस समाज को एकजुट करना था. ऐसे में यह परंपरा आज भी कायम है. सरहुल में सबसे पहला जुलूस हातमा सरना टोली से ही निकाली जाती है. इसके पीछे तमाम गांव-मोहल्ला के जुलूस होते है.
इस दिन निकलेगी शोभायात्रा
इस बार 1 अप्रैल को प्रकृति का पर्व सरहुल मनाया जाएगा. इस दिन तमाम गांव, मोहल्ला, टोलों के सरना स्थल में विशेष पूजा के बाद सरहुल शोभायात्रा जुलूस निकाली जाएगी. सभी जुलूस केंद्रीय सरना स्थल सिरमटोली पहुचेंगी. इसमें बड़े ही उत्साह के साथ आदिवासी समुदाय के लोग शामिल होंगे. इस दिन इस समाज की सभ्यता संस्कृति और परंपरा की झलक देखने को मिलेगी. पारंपरिक वेशभूषा में लोग ढोल, नगाड़े और मांदर के थाप में झूमते नजर आएंगे. शोभायात्रा जुलूस के माध्यम से ये समाज अपनी संस्कृति का प्रदर्शन करेगा. सभी गांव,, मोहल्ला,, टोलों की जुलूस मुख्य सरना स्थल सिरमटोली पहुंच पाए, इसको लेकर उद्गम स्थल हातमा सरना टोली की जुलूस निर्धारित समय पर निकालने की तैयारी की गई है.दरअसल शुरुआती दौर में यहां शोभायात्रा जुलूस छोटे स्तर पर निकाले जाते थे. लेकिन के आज के दौर में यह बड़ा स्वरूप ले लिया है. मौजूदा समय में रांची का शोभायात्रा देश के पांचवां सबसे बड़ा शोभायात्रा में शुमार है. प्रकृति का पर्व सरहुल आदिवासी समुदाय का प्रमुख पर्व है. इसके लिए महज कुछ ही दोनों का समय सीस रह गया है. ऐसे में इसे लेकर खूब जोरों से तैयारियां की जा रही है. बड़े ही धूमधाम से पर्व मनाने के लिए एक तरफ आदिवासी समाज सरना स्थलों की साफ सफाई और शोभायात्रा जुलूस की तैयारी में जुटे है. वहीं दूसरी तरफ विधि व्यवस्था, सुरक्षा ,बिजली पानी और साफ सफाई की व्यवस्था करने की तैयारी में जिला प्रशासन भी जुटी है.
फिलहाल थम गया सिरमटोली फ्लाईओवर रैंप का विवाद
सिरमटोली मेकॉन फ्लाईओवर रैंप का विवाद भी फिलहाल थम गया है. रैंप हटाने की मांग पर अड़े इस समाज के चरणबद्ध आंदोलन का नतीजा यह है कि सरकार को समाधान निकालना पड़ा. सरकार के आदेश पर सरना स्थल के सामने रैंप हटाने की पहल शुरू हो गई है. ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या यह तत्काल समाधान है या हमेशा के लिए है, और क्या आदिवासियों का आंदोलन हमेशा के लिए थम जाएगा, या आगे भी देखने को मिलेगा. अगर सरना स्थल के सामने रैंप को हमेशा के लिए हटाया जाएगा तो इस समाज का आंदोलन आगे नहीं देखने को मिलेगा. यदि सरहुल पर्व को ध्यान में रखते हुए तत्काल समाधान के लिए यह पहल की जा रही है. बाद में इसी जगह पर रैंप उतारा जाएगा तो उस परिस्थिति में इस समाज का आंदोलन आगे भी देखने को मिलेगा.