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रांची/डेस्क: वित्तीय वर्ष 2025- 26 में झारखंड बिजली उत्पादन के मामले में न सिर्फ आत्मनिर्भर हो जाएगा बल्कि सरप्लस बिजली अन्य राज्यों को बेचने भी लगेगा. पतरातू थर्मल पावर यूनिट से 3 महीने के बाद उत्पादन शुरू हो जाएगा. गौतम अडानी से मुलाकात के बाद झारखंड को 400 मेगावाट बिजली और भी मिलने लगेगी. अभी पीक आवर में झारखंड को 8 से 10 रुपए प्रति यूनिट बिजली केंद्रीय पूल से खरीदनी पड़ती है.
बिजली उत्पादन के मामले में झारखंड जल्द ही आत्मनिर्भर होने वाला है. 4000 मेगावाट क्षमता के पतरातू थर्मल पावर यूनिट, से एक-एक करके 800 मेगावाट बिजली इसी वर्ष झारखंड को मिलने लगेगी. जिससे झारखंड का बहुत सारा पैसा बचेगा. मौजूदा स्थिति में पीक आवर में 8 से 10 रुपए प्रति यूनिट बिजली जेबीवीएनएल को केंद्रीय पूल से खरीदनी पड़ती है. झारखंड सबसे पहले बिजली उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर होने जा रहा है.
गोड्डा की अदानी पावर प्लांट से सेबी एग्रीमेंट के मुताबिक 400 मेगावाट बिजली झारखंड को मिली थी. अभी एक दिन पहले गौतम अडानी से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन वार्ता हुई है. उन्होंने कहा है कि किसी और थर्मल स्टेशन से झारखंड को वह 400 मेगावाट बिजली देने की व्यवस्था कर देंगे. कुछ ही महीने में अगर 800 प्लस 400 मेगावाट बिजली झारखंड को मिलने लगी, तो झारखंड दूसरे राज्यों को बिजली बेचने लगेगा. इससे जेबीवीएनएल का घाटा भी दूर हो जाएगा.
अभी फिलहाल झारखंड के बिजली उपभोक्ताओं को 6 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिल पे करना पड़ता है. अगर जेबीवीएनएल को 4 रुपए प्रति यूनिट बिजली की खरीद पड़ेगी तो इसका लाभ क्या जनता को ट्रांसफर नहीं किया जाएगा? जवाब में एचडी ट्रांसमिशन कहते हैं कि जरूर किया जाएगा और अभी फिलहाल वह जनता को 200 यूनिट बिजली फ्री दे भी रहे हैं. आगे बिजली की दर घटाई भी जा सकती है.
झारखंड गठन के 25 साल में झारखंड अपने रिसोर्सेस से एक मेगावाट बिजली भी पैदा नहीं कर पाया, और बिजली की डिमांड बढ़ती जा रही है. हालांकि झारखंड के अंदर ही कई बिजली फ्रेंचाइजी और भी हैं, जिसमें टीवीएनए, डीवीसी जुस्को और सेल, झारखंड के आठ शहरों में इन्हीं कंपनी द्वारा बिजली सप्लाई की जाती है. अब जब झारखंड बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर होने जा रहा है, तो हो सकता है कि आने वाली दिनों में बिजली फ्रेंचाइजी के बजाय झारखंड का जेबीवीएनएल ही पूरे झारखंड में बिजली सप्लाई करे.