न्यूज 11 भारत
रांची/डेस्क : जब भी हम आजादी के संघर्ष की बात करते हैं तो आजादी की पहली लड़ाई के रुप में 1857 की क्रांति को याद किया जाता है. इस दौरान ब्रिटिशों ने भारत पर 200 सालों तक राज किया, लेकिन इस बीच भारत के ऐसे कई क्रांतिकारी थे, जिन्होंने इन्हें लगातार चोट पहुंचाते रहे. जिनकी वजह से अंग्रेजों की भारत में शासन पर पकड़ ढीली होती चली गई. ऐसे हीं एक महान क्रांतिकारी थे बिरसा मुंडा, जो बाद में भगवान बिरसा मुंडा के नाम से जाने गए.
बिरसा मुंडा की 123वीं पुण्यतिथि आज
ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशक्त विद्रोह किए जाने वाले पहले क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की आज 123वीं पुण्यतिथि है. बिरसा मुंडा को आदिवासी समुदाय के लोग भगवान मानते थे. 25 साल की कम उम्र से हीं उन्होनें अंग्रेजों से लोहा लेना शुरु कर दिया था. उन्होनें आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए बहुत काम किया था. हालांकि वह बहुत कम उम्र में शहीद हो गए थे. लेकिन उससे पहले उन्होनें लोगों के अंदर आजादी की चिंगारी जला चुके थे.
बिरसा मुंडा से बने धरती आबा
बिरसा मुंडा बहुत अच्छे वक्ता थे. लोगों को उनके भाषण बहुत प्रभावित करते थे. धीरे-धीरे लोग उन्हें बहुत पसंद करने लगे और उन्हें धरती आबा कहने लगे. इसके बाद उन्होनें अंग्रेजों को लगातार कमजोर करने की कोशिशें तेज कर दी. उन्होंने अंग्रेजों को कमजोर करने के लिए कोई टैक्स न देने की अपील की थी. साथ हीं ये कहना शुरु कर दिया कि अब विक्टोरिया रानी का राज खत्म हो गया है और मुण्डा राज शुरू हो गया है.
अंग्रेजों से बगावत और हक की लड़ाई
अंग्रेजों ने आदिवासियों को उनकी ही जमीन के इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी थी.अपनी जमीन को फिर से पाने के लिए मुंडा समुदाय के लोगों ने आंदोलन की शुरुआत की और इसे ही 'उलगुलान' का नाम दिया.बिरसा मुंडा ने पुलिस स्टेशनों और जमींदारों की संपत्ति पर हमला करना शुरू कर दिया था.ब्रिटिशों के झंडों को उखाड़कर सफेद झंडा लगाया जाने लगा जो मुंडा राज का प्रतीक था. इस दौरान उन्होनें अंग्रेजी हुकूमत को खूब परेशान किया. एकबार अंग्रेजों नें गिरफ्तार भी कर लिया. दो साल की सजा दी गई. जेल से सजा काटने के बाद उनके अंदर आजादी की भावना और प्रबल हो गई. जिसके बाद उन्होने बहुत कम समय में अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष और अधिक मजबूत कर लिया था. इसके बाद अंग्रेजों और आदिवासियों में भिडंत के बाद जिसमें 400 आदिवासी और 11 पुलिस मारे गए थे. अंग्रेजों ने उन्हो फिर से जेल में बंद कर दिया. जहां लंबे समय तक उन्हे वहां अकेले बंद कर दिया गया. जहां उनकी हालत बिगड़ती चली गई और एक दिन उनकी मृत्यु हो गई. हालांकि उनकी मृत्यु को कई लोग अभी भी साजिश मानते हैं. मान्यता है कि अंग्रेजी हुकुमत ने उन्हें मारने के लिए जहर दिया था. आज भी उनकी मृत्यु के 120 से भी ज्यादा सालों के बाद भी वो लोगों के बीच जीवित हैं.