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रांची/डेस्क: वैज्ञानिक अपने लैब में अक्सर कई प्रयोग करते रहते है. इसमें आपने कई फिल्मो मों में देखा होगा कि इंसानों से जुड़े कोई भी दावा पर टेस्टिंग करता है प्रयोग करता है, तो उसे सबसे पहले चूहों पर टेस्ट किया जात है. आपको लगता होगा की यह तो फिल्मों की बात है. लेकिन ऐसा काम सच में किया जाता है. लैब में वैज्ञानिक इंसानों पर होने वाले एक्सपेरिमेंट सबसे पहले चूहों पर करते है. क्या आपको इसके पीछे का कारण मालूम है? आइये इस खबर में आपको इसके पीछे के कारण के बारे में बताते है.
क्यों इस्तेमाल होते है चूहे?
इंसान और चूहों में कोई समानता नहीं है. लेकिन फिर भी इंसानों पर होने वाले एक्सपेरिमेंट सबसे पहले चूहों पर क्यों किया जाता है? इसके पीछे का कारण उनका डीएनए है. यह डीएनए इंसान और चूहों को एक जैसा बनती है.अमेरिका की फाउंडेशन फॉर बायो मेडिकल रिसर्च के अनुसार, लैब वाले चूहे और इंसान जेनेटिक मामलों में एक दूसरे से काफी मिलते-जुलते है. एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 95 प्रतिशत लैब के जानवरों को एक्सपेरिमेंट के लिए पैदा किया जाता है. इनमे खासकर चूहों को पैदा किया जाता है. ज्यादातर लैब में चूहों को मेडिकल ट्रायल में प्रयोग किए जाते है. इस कारण से मेडिकल ट्रायल के नतीजे एक जैसे आते है. चूहों का जेनेटिक, बायोलॉजिकल और व्यवहार काफी हद तक इंसानों की तरह रहता है. इस कारण से इंसान में होने वाले प्रयोग से पहले इस्तेमाल किया जाता है.
चूहों के अलावा कोई और विकल्प?
कई सारे रिपोर्ट्स के अनुसार चूहों के जगह कोई और विकल्प नहीं है. अन्य रिसर्च के मेथड,सेल कल्चर और कंप्यूटर मॉडल बहुत हद तक जानवरों पर हो रहे प्रयोग को कम कर सकते है. लेकिन इसे पूरी तरह रिप्लेस नहीं कर सकते है. ऐसा माना जाता है कि चूहों पर होने वाले एक्सपेरिमेंट काफी तेजी से असर होते है. इस कारण से ही एक्सपेरिमेंट करने के लिए चूहों का ही इस्तेमाल किया जाता है. उनकी देखभाल करना भी बहुत आसान होता है यह भी एक कारण है कि एक्सपेरिमेंट में चूहों का इस्तेमाल किया जाता है.