न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: तमिलनाडु में अब स्कूल में छात्र तिलक लगाकर और हाथ में कलावा वगैरह पहनकर नहीं जा सकेंगे और ना ही अपने के साथ अपनी जाति जोड़ सकेंगे. जल्द ही तमिलनाडु सरकार राज्य के सभी स्कूलों पर एक नियम लागू करने जा रही है. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (M. K. Stalin) राज्य के स्कूलों में जाति विवाद को लेकर ये नियम बनाने जा रहे हैं. जानकारी के अनुसार, सरकार के तरफ से लगभग तैयारी भी पूरी की जा चुकी है. अब बस से नियम का रूप देना है. बता दें, जाति विवाद (Caste controversy) को लेकर एक वर्ष पहले गठित की गई समिति ने 610 पन्नों की रिपोर्ट पूरी कर ली है.
रिपोर्ट में दिए कई सुझाव
तमिलनाडु (Tamil Nadu) में मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) के रिटायर जस्टिस के. चंद्रू की अध्यक्षता में 2023 में गठित की गई समिति ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को अपना प्रस्ताव रखा है. बता दें कि 2023 के अगस्त में गुनेरी, तिरुनेलवेली के एक स्कूल में भाई-बहन की जोड़ी पर जाति भेदभाव के कारण दूसरी जाति के छात्रों ने हमला किया था. जिसके बाद यह विवाद बहुत बढ़ गया था. जिसके बाद इसके समाधान के लिए सरकार ने एक समिति बनाई थी.
माथे के तिलक पर रोक
सीएम को समिति ने अपनी सिफारिशों में जाति भेदभाव (Caste Discrimination) को दूर करने के लिए कई तरह के सुझाव दिए हैं. इसमें स्कूल में छात्रों को जाति सूचक कलाई में बैंड, अंगूठी, माथे पर तिलक लगाने पर रोक करने प्रस्ताव रखा है. इसके साथ ही जाति संबंधी चित्र (Caste-related images) पर भी बैन (Ban) लगाने की सिफारिश की है. इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि कोई बच्चा इन नियमों का पालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए. इस रिपोर्ट में ये भी सुझाव दिया गया कि हाई स्कूल (High School) और हायर सेकेंडरी स्कूल (Higher Secondary School) के अध्यापकों और कर्मचारियों का समय-समय पर ट्रांसफर (Transfer) करते रहे. ताकि उनका वर्चस्व कायम न रहे.
स्कूल कल्याण अधिकारी नियुक्ति किया जाएं
इस रिपोर्ट में ये भी सुझाव दिया गया है कि हर माध्यमिक स्कूल में जहां छात्रों की संख्या 500 से ज्यादा हो वहां एक स्कूल कल्याण अधिकारी नियुक्ति किया जाए. साथ ही स्कूल और कॉलेज की जगहों को ड्रिल, परेड के जरिए सांप्रदायिक या जाति-संबंधी संदेश फैलाने के लिए ना दिया जाएं. साथ ही कक्षा 6 से 12 तक वाले छात्रों के लिए यौन उत्पीड़न, जातिगत भेदभाव, हिंसा और एससी/एसटी अधिनियम जैसे कानूनों पर अनिवार्य कार्यक्रम किया जाए.