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गढ़वा/डेस्कः गढ़वा जिले में एक साथ खुले लगभग 16 क्रसर प्लांट, अरबो रूपए की लागत से सभी क्रसर प्लांट खुला है. ग्रामीणों का आरोप है कि अवैध रूप से क्रसर प्लांट खोला गया है, बड़े-बड़े पत्थर माफिया इस कार्य में शामिल है, पिछले छः माह से पत्थर का अवैध खनन चल रहा है, एनजीटी की नियम का उधज्जिया ड़ा रहे है. केरल, दिल्ली, बिहार और झारखण्ड के बड़े- बड़े माफिया है. माफिया इस कार्य में लगे ग्रामीणों को धमका रहे है. पूर्व विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी ने पत्थर माफियाओ के खिलाफ मोर्चा खोला है. रंका और रमकंडा इलाके में क्रसर प्लांट खोला गया है, विभाग एवं स्थानीय प्रशासन की संलिप्ता है.
बता दें कि इस खदान को देख आप धनबाद, पाकुड़ और साहेबगंज की भूल मत करियेगा क्योंकि ये गढ़वा है. पिछले छः माह में सूखा ग्रसित इस गढ़वा जिले में पत्थर माफिया बारिश की तरह बरस रहे है. रंका और रमकण्डा के इस इलाके में एक दो या एक दर्जन नही बल्कि 16 क्रसर प्लांट लग गए और दस लाइन में लगे हुए है. यह हाल है भी गढ़वा जिले का. अब आपको यह भी बता दे रहे है कि ये माफिया कोई ऐरा-गैरा नही बल्कि बड़े-बड़े लोग है कोई केरल से तो कोई दिल्ली से तो कोई मुंबई से तो कोई बिहार से तो कोई झारखण्ड के बड़े इलाके के लोग है.
अचानक हुए इस माफियाओं कि बारिश की वजह भी जान लीजिये क्योंकि देश में कई ऐसे परियोजनाएं है जो पत्थर से बनने वाली है जिसमें गढ़वा का पत्थर सबसे उपयुक्त माना गया है यही वजह है कि लोग अब गढ़वा की और रुख किए है और क्रसर प्लांट लगा रहे है. ग्रामीणों का आरोप है कि ये सभी प्लांट अवैध रूप से लगाए गए है कोई भी नियम को पूरा नही करता है. इन बड़े लोग के लिए नियम ताक पर रख दिया गया है रात भर ब्लास्टिंग के जरिए पत्थर तोड़े जा रहे है. हमलोगो का घर दरक जा रहा है वहीं इसका विरोध करने पर धमकी दे रहे है.
जिस जगह पर पत्थर की खुदाई हो रही है वहां सैड़कों मजदूर बिना कोई सुरक्षा सेफ्टी के काम कर रहे है. ब्लास्टिंग के लिए सैकड़ो क्विंटल बारूद पहाड़ों के अंदर लगाए जा रहे है जिससे कभी भी बड़ी घटना घट सकती है. एमजीसीपीएल नामक सड़क निर्माण कम्पनी के द्वारा यह काम कराया जा रहा है. इस मामले को लेकर गढ़वा के पूर्व विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी ने मोर्चा खोल रखा है उन्होंने कहा कि सारी नियम ताक पर ऱख कर पत्थर का खनन किया जा रहा है ग्रामीणों को धमकाया जा रहा है शाशन प्रशासन सभी मिलकर इस कार्य को कर रहे है.
क्या कहता है नियम
किसी भी क्रसर प्लांट या लीज को लेने कई प्रक्रियाओ से गुजरना पड़ता है. ऐसे में एनएच या स्टेट हाईवे से पांच सौ मीटर की दूरी, गांव, स्कूल से एक किलोमीटर की दूरी, पिटीआर क्षेत्र से दूरी, पॉलियूएसन की मंजूरी, वन विभाग से आधा किलोमीटर की दूरी सहित अन्य नियम का पालन किया जाता है.