न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले के एक सुरंग की छत ढह जाने से 8 लोग फंस गए हैं. फंसे हुए लोगों में दो इंजीनियर और दो ऑपरेटर हैं. जबकि 4 मजदूर हैं. उन्हें बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी हैं. फंसे हुए लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरंग में ताजा हवा पहुंचाई जा रही है.
बता दें कि शनिवार को नागरकुरनूल के एक सुरंग की छत ढहने के बाद राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) बचाव अभियान में शामिल हो गए हैं. 8 श्रमिक अभी भी इसके अंदर फंसे हुए हैं. सेना ने भी बचाव कार्यों के लिए अपने इंजीनियर टास्क फोर्स (ईटीएफ) को तेजी से तैनात किया है. अधिकारियों ने बताया कि आधुनिक तकनीक से लैस ईटीएफ दुर्घटना स्थल पर मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) अभियान चला रहा है.
बता दें कि 22 फरवरी (शनिवार) की सुबह डोमलपेंटा इलाके में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC ) टनल का एक हिस्सा गिर गया. इस हादसे में आठ श्रमिक टनल के अंदर फंस गए. श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है. SLBC टनल नागरकुरनूल जिले को आंध्रप्रदेश के श्रीशैलम में स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग से जोड़ती है. टनल में गुमला के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर एवं पंजाब के श्रमिक फंसे हुए हैं. फिलहाल एनडीआरएफ द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई है.
टनल में फंसे 8 श्रमिकों में गुमला के 4
फंसे हुए श्रमिक उत्तर प्रदेश, झारखंड, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं. मिली जानकारी के मुताबिक, झारखंड के चार मजदूर संदीप साहू, जातक, संतोष साहू और अनुज साहू हैं. रॉबिन्स इंडिया कंपनी के दो मशीन ऑपरेटर सनी सिंह (जम्मू और कश्मीर) और गुरप्रीत सिंह पंजाब से,वहीं, जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड के प्रोजेक्ट इंजीनियर मनोज कुमार और फील्ड इंजीनियर श्री निवास (उत्तर प्रदेश से) शामिल हैं.
पीएम ने तेलंगाना के सीएम ए. रेवंत रेड्डी से फोन पर की बात
तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी से पीएम नरेन्द्र मोदी ने फोन पर बात की और घटना की जानकारी ली, उन्होनें केंद्र की ओर से बचाव कार्य में हर संभव सहायता का आश्वासन दिया. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें घटनास्थल पर पहुंच चुकी हैं, जबकि सेना का एक दल भी वहां पहुंच रहा है.
सीएम हेमंत सोरेन ने भी ली हादसे की जानकारी
वहीं, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री से श्रमिकों की सुरक्षित रेस्क्यू के लिएआग्रह किया है. मुख्यमंत्री ने मरांग बुरु से हादसे में फंसे सभी श्रमिकों के सुरक्षित होने की कामना की है.
रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे कई टीमें
ये श्रमिक सुरंग के 14 किलोमीटर गहराई में फंसे हुए हैं. सुरंग के भीतर 13 किलोमीटर तक रास्ता साफ है, जबकि 14 किलोमीटर पर ढांचा गिर गया है. हालांकि, बचाव दल सुरंग की स्थिति को लेकर चिंतित हैं. फंसे हुए श्रमिकों को बचाने के लिए, NDRF की पहली टीम कल शाम करीब 7 बजे यहां पहुंची और पहले पानी निकालने की प्रक्रिया होगीऔर फिर मलबा हटाना होगा, फिलहाल, फंसे हुए श्रमिकों का सही स्थान अभी तक पता नहीं चल पाया है.
NDRF के डिप्टी कमांडर सुखेंदु ने बताया है कि मलबे से 200 मीटर का पैच भरा हुआ है. जब तक इस मलबे को साफ नहीं किया जाता, हम फंसे हुए श्रमिकों का सही स्थान नहीं जान पाएंगे और उन्हें बचा नहीं पाएंगे. सुरंग के 11-13 किलोमीटर के बीच के पैच में पानी भरा हुआ है और जब तक पानी नहीं निकाला जाता, तब तक मलबा साफ करने का काम शुरू नहीं होगा. वहीं, सुरंग में प्रवेश करने वाली टीमों के मार्गदर्शन के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है.