नेशनल एयरपोर्ट डेवलपमेंट प्लान 2047 के लिये डीसी हजारीबाग को पहुंचा पत्र, कई सारी बिन्दुओं पर मांगी गयी नयी जानकारि
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: जिला मुख्यालय के नजदीक हवाई अड्डा को लेकर एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने फिर पहल शुरू कर दी. है. इसे लेकर नेशनल एयरपोर्ट डेवलपमेंट प्लान 2047 के लिये यहां एयरपोर्ट हेतु जिला प्रशासन से अनुरोध करते हुए कई सारी जानकारियां मांगी गयी है. इस बाबत भारतीय विमान प्राधिकरण की ओर से आरआर मौर्या, एयरपोर्ट डायरेक्टर, बिरसा मुंडा एयरपोर्ट, रांची झारखंड की ओर से डीसी हजारीबाग को एक पत्र भेजकर इस प्लान 2047 के तहत हजारीबाग में एयरपोर्ट के विकास के लिये आवश्यक जानकारियां उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है. इसके लिये शहर के बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी और सुविधाओं का आकलन करने के निर्देश दिया गया है. कई अन्य बिंदुओं पर विस्तार से रिपोर्ट मांगी गई है.
हजारीबाग एयरपोर्ट के लिये अभिशाप बनी नगवां एयरपोर्ट की जमीन:
हजारीबाग एयरपोर्ट के लिये नगवां एयरपोर्ट की जमीन अभिशाप बन गयी. आजादी के पहले यहां हवाई अड्डा प्रस्तावित थी, जिसके लिये जमीन अधिग्रहण हुआ. लेकिन समय के साथ एनएच किनारे जमीनों के भाव सोने से अधिक हो जाने के बाद रैयतों ने कानूनी साजिश में यह मामला उलझाये रखा. डीसी कार्यालय का पुराना रिकार्ड जिला भूअर्जन शाखा पत्राक 274 दिनांक 7.7.2005 के अनुसार तत्कालीन कार्यपालक अभियंता भवन साथ-साथ सार्वजनिक हवाईअड्डे के रूप में विकसित करने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए जो रिपोर्ट मांगी गयी है, उसमें हजारीबाग, उसकी जनसंख्या, निर्माण के पत्रांक 1318 दिनांक 17.8.2001 की अधियोजना के मुताबिक ग्राम नगवां और चुरचू में हवाई पट्ट निर्माण के लिए क्रमशः 24.15 एकड़ तथा 28.47 एकड़ पर भूअर्जन की कार्रवाई प्रारंभ की गई थी, जिसमें धारा 7 और 17 की कार्रवाई तक पूर्ण हो चुकी थी. जबकि नगवां की जमीन का अधिग्रहण पूर्व में हो चुका था. 1945-46 में हवाई पट्टी निर्माण के लिए 27.37 एकड़ जमीन तब ली गई थी, जिसपर दखल कब्जा 30.10.1945 को ही ले लिया गया था. दूसरे अभिलेख 19/51-52 3/52-53 के अनुसार हवाई पट्टी विस्तार के लिए 6.198 एकड़ जमीन का भूअर्जन पुनः करते हुए 14.3.53 को दखल कब्जा किया गया. आजादी के समय से जो नगवां हवाई अड्डा था तो उसमे रैयतों ने जिला प्रशासन के सुस्त रवैये के कारण कानूनी पचड़ों में उलझा दिया है. है. डब्ल डब्ल्यूपीएस 1292/2011 अदालत में दायर हुआ, जिसमें बताया जा रहा है कि इसकी जमीन को लेकर रैयतों को कानूनी रूप से धक्का लगा है पर उसके बाद जिला प्रशासन की सुस्ती के कारण यहां एयरपोर्ट निर्माण की परियोजना हाशिये पर चली गयी और दशकों से हजारीबाग के लोग प्रतीक्षा करते आ रहे हैं कि हजारीबाग एनएच 33 पर अवस्थित नगवां हवाई अड्डा का दिन बहुरेगा.
2006-07 में भी एयरपोर्ट योजना के लिए आया था आवंटन:
नगवां में हवाई अड्डा को लेकर प्रयास कई सांसदों ने शुरू किया था. लेकिन जोर यशवंत सिन्हा के सांसद रहने के दौरान पकड़ा पर परिणाम शून्य ही निकला. यहां एयरपोर्ट बनाये जाने को लेकर तब संभावना ढ़ गयी, जब यहां से जीतकर सांसद और फिर केन्द्रीय राज्य मंत्री बने जयंत सिन्हा ने इस दिशा में प्रयास शुरू किया और रिजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत केन्द्र सरकार के राज्य के छोटे शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ने की योजना में हजारीबाग, देवघर, बोकारों समेत झारखंड के आठ जिलों को इसमें शामिल कर लिया गया. जयंत सिन्हा ने स्थल पर शिलान्यास किया और फिर फंड आने के साथ मैप जारी हुए और काम में तेजी दिखने के साथ यह. लंटक गयी. आजादी के बाद कई बार यहां के लिये कई बार फंड रिलीज हुआ, 2006-07 में भी एयरपोर्ट योजना के लिए आवंटन मिला और इसके बाद 16-17 में पहल शुरू होने के साथ इसे फंड मिलो पर पूर्व में जिला प्रशासन द्वारा बरती गयी उदासीनता के कारण हजारीबाग में एयरपोर्ट तैयार करने का प्लान अधर में लटक गया, वह भी योजना पास होने और इस मद में पैसा आने के बाद. जबकि हजारीबाग में एयरपोर्ट के साथ एयर कनेक्टिविटी की सुविधा की आस यहां के लोग दशकों से लगाए बैठक हैं. अब फिर से पत्र के साथ 2025 में नई पहल शुरू हुई है.हजारीबाग में एयरपोर्ट के सवाल पर मौजूदा डीसी नैंसी सहाय से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि अभी एयरपोर्ट ऑथिरिटी ऑफ इंडिया का पत्र मिला है, जिसपर मांगी गयी जानकरियां जल्द उपलब्ध करा दी जाएगी. बताया कि उन्हें अभी नहीं मालूम कि नगवां एयरपोर्ट की जमीन को लकर मौजूदा स्थिति क्या है. लेकिन वे चाहेंगी कि हजारीबाग में अपना एयरपोर्ट बने. इसके लिये अधिकारियों के साथ हर संभावना पर विचार करते हुए जल्द हजारीबाग के हक में उचित निर्णय लिया जाएगा, ताकि जल्द एयरपोर्ट बनने का मार्ग प्रशस्त हो सके.