अमित दत्ता/न्यूज़11 भारत
सिल्ली/डेस्क: सिल्ली थाना क्षेत्र के गंगानगर इलाके में बहने वाली राढ़ू नदी पर बना ऐतिहासिक राढू पुल आज अपनी सबसे बड़ी चुनौती से जूझ रहा है. यह पुल, जो सैकड़ों गांवों को जोड़ता है और हजारों लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी से जुड़ा है, अब अवैध बालू खनन के कारण खतरे में है.
रोज़ाना यहां से हजारों वाहन गुजरते हैं, लेकिन अब पुल के नीचे के पिलरों की नींव (बेस) पूरी तरह से दिखने लगी है. इसका कारण है- निर्दयता से हो रहा बालू का अवैध उत्खनन, जो पुल की स्थायित्व पर सीधा हमला है.
पुल के नीचे 500 मीटर तक चल रहा अवैध उत्खनन
स्थानीय लोगों के मुताबिक, पुल के नीचे करीब 500 मीटर के दायरे में रात-दिन बालू की खुदाई की जा रही है. भारी ट्रैक्टर और डंपर बालू निकालने में लगे हैं. गहराई तक खोदाई होने के कारण नदी की धारा भी बदलने लगी है, जो पुल की नींव के लिए बेहद खतरनाक संकेत है. इस उत्खनन के चलते पिलरों की जड़ें बाहर आ गई हैं, और किसी भी वक्त पुल का एक हिस्सा ध्वस्त हो सकता है. बावजूद इसके, प्रशासन न तो स्थल का निरीक्षण कर रहा है, न ही किसी तरह की रोक लगाने की कोशिश.
श्यामनगर बालू घाट, माफिया राज का नया केंद्र
सिल्ली का श्यामनगर घाट अब पूरी तरह से बालू माफियाओं के कब्जे में है. यहां बिना किसी वैध परमिट के हर दिन सैकड़ों ट्रैक्टर बालू ले जाते हैं. स्थानीय सूत्र बताते हैं कि इन माफियाओं को कहीं-न-कहीं प्रशासनिक और राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है. तभी तो खनन का यह गोरखधंधा बेरोकटोक जारी है.
गांव के लोग इन गतिविधियों के खिलाफ बोलने से डरते हैं. विरोध करने वालों को धमकियां दी जाती हैं, और कई बार मारपीट की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं.
प्रशासन की चुप्पी, लापरवाही या मिलीभगत?
राढ़ू पुल की हालत देखकर यह सवाल उठना लाज़मी है. प्रशासन क्या किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है?
जनता को यह जानने का हक है
जब हर दिन ट्रैक्टर-डंपर खुलेआम गुजरते हैं, तो पुलिस और खनन विभाग क्या कर रहे हैं? क्या इस अवैध धंधे में कुछ अधिकारी भी शामिल हैं?
आखिर इस पुल की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है?
अगर यह पुल ढह गया, तो यह न सिर्फ दर्जनों गांवों को जोड़ने वाले एक रास्ते का नुकसान होगा, बल्कि यह सरकारी तंत्र की एक और नाकामी का गवाह बनेगा.
जनता का आक्रोश, कार्रवाई नहीं हुई तो होगा आंदोलन
ग्रामीणों में अब गुस्सा बढ़ता जा रहा है. कई संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर तुरंत कार्रवाई नहीं हुई, तो सड़क जाम, धरना और आंदोलन होंगे.
एक स्थानीय निवासी ने कहा, “हम अपनी जान जोखिम में डालकर पुल पार कर रहे हैं. अगर सरकार और प्रशासन हमारी नहीं सुनेंगे, तो हम चुप नहीं बैठेंगे. ये हमारी ज़िंदगी का सवाल है.”
मांगें जो अब उठ रही हैं
1. राढू पुल की तत्काल तकनीकी जांच और मरम्मत
2. अवैध खनन पर रोक और दोषियों की गिरफ्तारी
3. श्यामनगर घाट पर सीसीटीवी और पुलिस चौकी की स्थापना
4. खनन विभाग की निष्क्रियता पर जांच
5. स्थानीय जनता को सुरक्षा और सहयोग का भरोसा
अब नहीं चेते, तो बहुत देर हो जाएगी
राढू पुल सिर्फ एक पुल नहीं, बल्कि हजारों लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी की धुरी है. इसकी अनदेखी भविष्य में एक बड़ी त्रासदी को जन्म दे सकती है. सवाल अब भी वही है क्या हादसे के बाद ही जागेगा प्रशासन?