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रांची/डेस्क: राज्य में आउट ऑफ़ स्कूल और ड्रापआउट बच्चो को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने में बड़ी कामयाबी मिली है. शैक्षणिक सत्र 2024-25 में 54,130 आउट ऑफ़ स्कूल/ ड्रापआउट बच्चो को विद्यालय से जोड़ने का प्रयास किया गया है. राज्य में सभी जिलों ने लक्ष्य के अनुरूप बच्चो को शिक्षा से जोड़ने के प्रयास में सफलता पाई है. झारखंड शिक्षा परियोजना परियोजना परिषद को प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक़ शैक्षणिक सत्र 2024-25 में अबतक 54,130 बच्चो को विद्यालय से जोड़ा गया है. कुल 65,065 लक्षित बच्चो में से अबतक 83.19% बच्चो को विद्यालय से जोड़ा जा चुका है और उनकी पढ़ाई शुरू हो गयी है. शेष बचे बच्चो को भी विद्यालय से जोड़ने का प्रयास जारी है. इस शैक्षणिक सत्र में शत प्रतिशत लक्षित बच्चो को विद्यालय से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है.
शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में 54,130 बच्चो को स्कूलों से जोड़ा गया है. वर्ष 2023-24 में 34,608 बच्चो को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा गया था. वर्ष 2022-23 में 3,930 बच्चो को शिक्षा से जोड़ा गया था. राज्य कार्यक्रम प्रबंधक बिनीता तिर्की ने बताया कि अधिकांश जिलों में आउट ऑफ़ स्कूल/ड्राप आउट बच्चो को विद्यालय से जोड़ने के प्रयास में सफलता मिली है. जिन जिलों ने अबतक लक्षित बच्चो को शत प्रतिशत शिक्षा से नहीं जोड़ा है, उन्हें जल्द से जल्द लक्ष्य पूरा करने का निर्देश दिया गया है. विभाग की कोशिश है कि इस शैक्षणिक वर्ष में भी शत प्रतिशत लक्षित बच्चो को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके. इसके लिए लगातार विभाग द्वारा निगरानी की जा रही है और जिलों को दिशा निर्देश दिया गया है. उन्होंने कहा कि जिन जिलों में आउट ऑफ़ स्कूल/ड्रॉपआउट बच्चो को अबतक शिक्षा से नहीं जोड़ा जा सका है, उन्हें 30 जनवरी तक इस कार्य को हर हाल में पूरा कर लेने का निर्देश दिया गया है.
राज्य के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा लगातार हो रहा है अनुश्रवण
आउट ऑफ़ स्कूल/ड्रॉपआउट बच्चो को विद्यालय से जोड़ने का लगातार प्रयास हो रहा है. इसके लिए सामुदायिक भागीदारी और जागरूकता को बढ़ाने तथा राज्यस्तरीय पदाधिकारियों द्वारा विद्यालयों एवं जिलों का निरंतर अनुश्रवण हो रहा है. राज्य के 24 जिलों में 24 राज्य स्तरीय पदाधिकारियों के नेतृत्व में अनुश्रवण दल के पदाधिकारी भ्रमण कर यह सुनिश्चित करा रहे है कि उनके जिले में शत प्रतिशत शिशु पंजी हो, कोई भी बच्चा शिक्षा की मुख्यधारा से अलग ना रहे.
प्रोजेक्ट इम्पैक्ट, प्रयास और स्कूल रुआर कार्यक्रम का भी दिख रहा है असर
स्कूलों में बच्चो की उपस्थिति बढ़ाने और उन्हें शिक्षा से जोड़ने के लिए प्रोजेक्ट इम्पैक्ट, प्रयास और स्कूल रुआर कार्यक्रम असरदार साबित हो रहा है. प्रयास कार्यक्रम के तहत स्कूल में छात्रों की अनुपस्थिति को दिवसों के आधार पर चिन्हित किया जाता है. प्रत्येक कक्षा में कक्षा पंजी बनाकर प्रत्येक माह बच्चों का रिकार्ड संधारण किया जाता है. 3 दिन, 15 दिन एवं 30 दिन तक अनुपस्थित बच्चों को चिन्हित कर उनकी उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए आवश्यक प्रयास किया जाता है एवं उनकी पूरी विवरणी संधारित की जाती है. इस कार्यक्रम को प्रोजेक्ट इम्पैक्ट के मापदंडों में भी शामिल किया गया है. अनुपस्थित बच्चो के परिजनों से संपर्क कर बच्चे की पूरी विवरणी, अनुपस्थिति का कारण आदि जांचा जाता है. एसएमसी के सदस्य एवं शिक्षक बच्चे के परिजनों से संपर्क कर बच्चे के अनुपस्थित होने का कारण जानते है और उन्हें शिक्षा से जोड़ने का प्रयास करते है. इसके अलावा स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के द्वारा स्कूल रुआर अभियान भी चलाया जाता है. इस अभियान का मकसद, 5 से 18 साल के बच्चों को स्कूल में नामांकित करना और स्कूलों में शत प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करना है. इस अभियान के तहत, अनामांकित और ड्रॉपआउट बच्चों को स्कूल वापस लाया जाता है. इसमें विद्यालय प्रबंधन समिति और सामुदायिक भागीदारी का महत्वपूर्ण योगदान है. प्रत्येक वर्ष स्कूल रुआर अभियान की समीक्षा की जाती है.