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रांची/डेस्क: कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा है कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय झारखंड का गौरव है क्योंकि यह झारखंड की पहचान धरती आबा बिरसा भगवान और कार्तिक उरांव से जुड़ा हुआ है तथा इसका उद्घाटन यशस्वी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था. यहां का शिक्षण, अनुसंधान तथा कृषक समुदाय के उत्थान का कार्य इसकी गरिमा के अनुरूप होना चाहिए. शिल्पी नेहा तिर्की ने बीएयू की गतिविधियों, उपलब्धियों और समस्याओं की जानकारी लेने के लिए सोमवार को विश्वविद्यालय में लगभग 5 घंटे व्यतीत किये तथा वहां के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बैठक की.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने गुणवत्ता युक्त बीज की उपलब्धता बढ़ाने के लिए राज्य में 10 बीज ग्रामों की स्थापना का निर्णय लिया है और राज्य की बीज नीति तैयार करने के लिए कृषि निदेशक और विश्वविद्यालय अधिकारियों की एक बैठक शीघ्र विभाग में आयोजित की जाएगी. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा 8 से 10 फरवरी तक आयोजित किए जाने वाले एग्रोटेक किसान मेला में राज्य के सफल और प्रगतिशील किसानों को बड़ी संख्या में बुलाया जाए.
उन्होंने कहा कि बिरसा भगवान की जन्मस्थली उलिहातू सहित खूंटी, रांची एवं गुमला जिला के 5-6 गांवों को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित करने के लिए बीएयू अंगीकृत करे और 3 वर्षों के लिए निश्चित विकास कार्यक्रम तय करे ताकि उन गांवों में विकास की गति देखकर आसपास के अन्य गांव भी प्रेरित-प्रोत्साहित हों. मंत्री ने वानिकी अधिष्ठाता को निर्देश दिया कि नाहेप परियोजना के तहत उलिहातू गाँव में किये गए बेसलाइन सर्वे, चलाये गये विकास कार्यक्रम तथा तथा इंपैक्ट स्टडी की रिपोर्ट उन्हें यथाशीघ्र उन्हें सौंपी जाय.
उन्होंने बम्बू मिशन, हनी बी मिशन तथा एक जिला एक उत्पाद परियोजना के तहत विश्वविद्यालय द्वारा किया गया कार्यों, उसके प्रभाव तथा लाभान्वित किसानों के संबंध में एक रिपोर्ट शीघ्र सौंपने का निर्देश निदेशक प्रसार शिक्षा को दिया. उन्होंने शिक्षकों की प्रोन्नति संबंधी कैस योजना के बारे में भी जिज्ञास रखी और कहा कि उससे संबंधित गजट नोटिफिकेशन शीघ्र जारी कर दिया जाएगा. मंत्री ने शिक्षकेतर कर्मियों की प्रोन्नति संबंधी नीति शीघ्र तैयार करने तथा एसीपी/ एमएसपी के मार्ग में उत्पन्न बाधाओं को दूर करने के लिए विभाग में एक बैठक करने का निर्देश संबंधित पदाधिकारियों को दिया. उन्होंने वित्तीय और प्रशासनिक कामकाज में नियमों का पालन दृढ़ता पूर्वक करने का निर्देश विश्वविद्यालय अधिकारियों को दिया.
आरम्भ में बीएयू के कुलपति डॉ एससी दुबे ने विश्वविद्यालय की प्रमुख उपलब्धियां, चुनौतियां मुद्दों तथा भावी रोड मैप के संबंध में विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया और कहा कि मानव संसाधन की कमी यहां की सबसे प्रमुख समस्या है. नये स्थापित सात कॉलेज पूरी तरह संविदाकर्मी शिक्षकों के सहारे चल रहे हैं. यूजी पाठ्यक्रमों में स्वीकृत सीटों पर लगभग 70% छात्राएं प्रवेश ले रही हैं जिनके लिए छात्रावास की कमी है. उन्होंने कहा कि कामकाज में तेजी लाने के उद्देश्य से सभी अधिकारियों और कर्मियों को शीघ्रतापूर्वक कार्य निष्पादित करने का सख्त निर्देश दिया गया है. अनुसंधान निदेशक डॉ पीके सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया.