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रांची/डेस्क: भाजपा प्रवक्ता अजय साह ने झारखंड सरकार द्वारा पारित झारखंड कारा एवं सुधारात्मक सेवाएँ विधेयक 2025 पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि झारखंड में गिरती कानून व्यवस्था का एक प्रमुख कारण अप्रभावी जेल प्रणाली है. वर्तमान जेल व्यवस्था अपराधियों के मन में कोई भय उत्पन्न नहीं करती, जिससे अपराध पर नियंत्रण पाना मुश्किल हो गया है. जब तक अपराधियों को जेल जाने का डर नहीं होगा, तब तक अपराधों पर अंकुश नहीं लग सकता.
अजय साह ने कहा कि झारखंड में पुलिस, होमगार्ड और जेल विभाग तीनों गृह विभाग के अंतर्गत आते हैं. पुलिस और होमगार्ड में निदेशालय (डायरेक्टरेट) प्रणाली लागू है, लेकिन जेल प्रशासन अभी भी ब्रिटिश कालीन निरीक्षणालय (इंस्पेक्टिरेट) प्रणाली पर आधारित है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पुलिस आयोग (1980) की सिफारिशों के बाद लगभग सभी राज्यों ने पुलिस प्रशासन को निरीक्षणालय से निदेशालय में बदला, लेकिन झारखंड की जेल प्रणाली अब भी औपनिवेशिक व्यवस्था के अधीन चल रही है.
साह ने भारत सरकार द्वारा जारी मॉडल जेल एवं सुधारात्मक सेवा अधिनियम, 2023 और मॉडल जेल मैनुअल, 2016 का हवाला देते हुए कहा कि इन दस्तावेजों में जेल प्रशासन को प्रभावी बनाने के लिए निरीक्षणालय प्रणाली को समाप्त कर निदेशालय प्रणाली अपनाने की सिफारिश की गई है. उन्होंने कहा कि यदि निदेशालय प्रणाली लागू की जाती है, तो जेलों की सुरक्षा और प्रशासनिक दक्षता में व्यापक सुधार होगा.
भाजपा प्रवक्ता ने 1983 में गठित जस्टिस ए. एन. मुल्ला समिति का जिक्र करते हुए कहा कि इस समिति ने जेल प्रशासन में DG (डायरेक्टर जनरल) स्तर के अधिकारी की नियुक्ति की सिफारिश की थी, लेकिन झारखंड सरकार ने इस सिफारिश को नजरअंदाज कर दिया. साह ने यह भी बताया कि जब राष्ट्रीय स्तर पर जेल प्रशासन से जुड़े कार्यक्रम होते हैं, तो अन्य राज्यों से DG स्तर के अधिकारी भाग लेते हैं, जबकि झारखंड से केवल IG स्तर के अधिकारी जाते हैं. इससे झारखंड की स्थिति कमजोर और दोयम दर्जे की प्रतीत होती है, जो राज्य के लिए अपमानजनक है. अजय साह ने झारखंड सरकार से जेल प्रशासन में निदेशालय प्रणाली लागू करने और राष्ट्रीय स्तर की सिफारिशों को अपनाने की अपील की, जिससे राज्य की कानून व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके.